तसवीर : ट्रैक पर वरीय संवाददाता रांची. देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद हिंदू-मुसलिम एकता के प्रतीक थे. शिक्षा से लेकर तकनीकी क्षेत्र में जो कार्य हुए हैं, उसमें आजाद का महत्वपूर्ण योगदान है. उक्त बातें शिक्षाविद मोबारक खापड़े ने अंजुमन इस्लामिया की ओर से गुरुवार को वाइएमसीए सभागार में आयोजित सेमिनार में कही. उन्होंने कहा कि शिक्षा के विकास में मात्र कुछ ही प्रतिशत लोग लगे हुए हैं, जबकि अधिकतर लोग इसकी कमी गिनाने में लगे हैं. इससे न तो हमारा विकास होगा और नहीं शिक्षा का. उन्होंने कहा कि कुरान की पहली शिक्षा, शिक्षा से जुड़ी हुई है. इसलिए बिना शिक्षा के न तो हमारा और न ही समाज का विकास होगा. मां की गोद है पहला स्कूलखापड़े ने कहा कि मां की गोद बच्चे का पहला स्कूल है. दूसरा स्कूल उसका घर है. उन्होंने कहा कि द्वितीय शिक्षा यदि लड़ाई, साजिश व शिकायतों की दी जायेगी, तो तृतीय पारंपरिक स्कूल में उनका कल्याण संभव नहीं है. बच्चों को अपनी क्षमता के अनुकूल आगे बढ़ने की जरूरत है. कार्यक्रम की अध्यक्षता इबरार अहमद ने की. संचालन प्रो नेजामुद्दीन जुबैरी, स्वागत भाषण मोख्तार अहमद व धन्यवाद ज्ञापन तनवीर अहमद ने किया. कार्यक्रम में बेलाल कुरैशी, शहजाद, शाहिद अख्तर, नकीब, फजल करीम सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे.
हिंदू-मुसलिम एकता के प्रतीक थे मौलाना आजाद
तसवीर : ट्रैक पर वरीय संवाददाता रांची. देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद हिंदू-मुसलिम एकता के प्रतीक थे. शिक्षा से लेकर तकनीकी क्षेत्र में जो कार्य हुए हैं, उसमें आजाद का महत्वपूर्ण योगदान है. उक्त बातें शिक्षाविद मोबारक खापड़े ने अंजुमन इस्लामिया की ओर से गुरुवार को वाइएमसीए सभागार में आयोजित सेमिनार […]
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