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स्कूलों की मनमानी पर प्रशासन मौन

मापदंड का पालन नहीं करने वाले स्कूलों पर नहीं होती कार्रवाई टैक्स में छूट का स्कूल नहीं देते सरकार को हिसाब बसों में होती ओवरलोडिंग, बच्चों को होती परेशानी ………………………लाइफ रिपोर्टर @ रांचीस्कूल बसों के परिचालन को लेकर जब भी कोई मामला सामने आता है, प्रशासन भी नोटिस जारी कर देता है. प्रशासन नोटिस जारी […]

मापदंड का पालन नहीं करने वाले स्कूलों पर नहीं होती कार्रवाई टैक्स में छूट का स्कूल नहीं देते सरकार को हिसाब बसों में होती ओवरलोडिंग, बच्चों को होती परेशानी ………………………लाइफ रिपोर्टर @ रांचीस्कूल बसों के परिचालन को लेकर जब भी कोई मामला सामने आता है, प्रशासन भी नोटिस जारी कर देता है. प्रशासन नोटिस जारी कर अपना काम पूरा समझ लेता है. स्कूल बसों की नियमित जांच नहीं होती. बसों में ओवरलोडिंग से लेकर निर्धारित मापदंड का पालन नहीं होता. जिला परिवहन पदाधिकारी द्वारा चार माह पूर्व स्कूल बसों की जांच की गयी थी. स्कूल बस के साथ-साथ ऑटो, टैक्सी, मारुति वैन से भी बच्चे स्कूल जाते हैं. इसमें भी सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जाता है. इसमें निजी वाहनों का प्रयोग व्यावसायिक वाहन के रूप में किया जाता है. इससे सरकार को राजस्व का नुकसान भी होता है. स्कूल के नाम से निबंधित बसों के एडिशनल टैक्स में परिवहन विभाग 50 फीसदी की छूट देता है. स्कूल को टैक्स में छूट इस शर्त के साथ दी गयी है, कि वह इसका लाभ बच्चों को देगा. स्कूल प्रबंधन टैक्स में छूट तो लेता है, पर इसका लाभ कभी बच्चों को नहीं देता. सरकार की ओर से स्कूलों को छूट तो दी जाती पर छूट का बच्चों को लाभ नहीं देने पर स्कूल पर कोई कार्रवाई नहीं होती. ……………………..एक बस पर वर्ष में 10,608 रुपये की छूट एक बस पर स्कूल को वर्ष भर में 10,608 रुपये की टैक्स छूट मिलती है. एक तिमाही में एक बस के लिए कुल 5304 रुपये एडिशनल टैक्स देना होता है. बस को इसमें 50 फीसदी की छूट मिलती है. स्कूल को इसके एक तिमाही में 2652 रुपये देना होता है. इस तरह साल में 21,216 रुपये की जगह स्कूल प्रबंधन को 10,608 रुपये देना होता है. ……………………………..शर्त नहीं मानते स्कूलों को इस शर्त के साथ टैक्स में छूट दी जाती है कि वे इसका लाभ बच्चों को बस किराया में रियायत देकर करेंगे. स्कूल टैक्स में छूट तो लेते हैं, पर इसका लाभ कभी भी बच्चों को नहीं देते हैं. जिला परिवहन पदाधिकारी ने स्कूलों से कई बार टैक्स में छूट के बदले बच्चों को दी गयी रियायत के बारे में जानकारी मांगी. अधिकतर स्कूलों ने इसका जवाब नहीं दिया. ………………बसों में करते हैं ओवरलोडिंग स्कूल बसों में क्षमता से अधिक बच्चे बैठाये जाते है. जांच के दौरान कई बार बच्चे केबिन में बोनट पर बैठे पाये गये. मापदंड के अनुरूप सीट की तुलना में छोटे व बड़े बच्चे को मिला कर डेढ़ गुणा बच्चों को बैठाने की व्यवस्था है, पर कुछ स्कूल की बसों में सीट की तुलना में दो गुणा अधिक बच्चे तक बैठाया जाता है. बच्चे बस में खड़ा रहते हैं. ……………………….शिक्षा मंत्री ने दिये थे निर्देश शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने लालपुर चौक के समक्ष स्कूली बसों की जांच की थी. जांच के दौरान अधिकतर स्कूली बसों में ओवरलोडिंग पायी गयी थी. जिला परिवहन पदाधिकारी को आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया गया था. बसों में किसी हाल में ओवर लोडिंग बर्दाश्त नहीं करने की बात कही गयी थी. इसके बाद बसों में ओवरलोडिंग जारी है. ……………….कम नहीं करते बस किराया डीजल की कीमत में बढ़ोतरी होने पर स्कूल बस किराया में बढ़ोतरी की जाती है, लेकिन जब डीजल की कीमत में कमी होती है, तो स्कूल किराया कम नहीं करते. स्कूलों में बस किराया पर प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है. बस किराया में एकरूपता भी नहीं है.

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