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ब्रिटिश अर्थव्यवस्था की सफलता में एशिया का बड़ा हाथ

लंदन रहने के लिए दुनिया का सबसे बढि़या शहर : हिंदुजालंदन. प्रमुख प्रवासी भारतीय उद्योगपति गोपीचंद पी हिंदुजा ने कहा है कि लंदन दुनिया में रहने और यात्रा के लिहाज से सबसे बढि़या शहर है. उन्हें भी ब्रिटेन की इस राजधानी में ‘घर’ मिला. हिंदुजा ग्रुप के सह अध्यक्ष तथा लंदन में रहनेवाले हिंदुजा ने […]

लंदन रहने के लिए दुनिया का सबसे बढि़या शहर : हिंदुजालंदन. प्रमुख प्रवासी भारतीय उद्योगपति गोपीचंद पी हिंदुजा ने कहा है कि लंदन दुनिया में रहने और यात्रा के लिहाज से सबसे बढि़या शहर है. उन्हें भी ब्रिटेन की इस राजधानी में ‘घर’ मिला. हिंदुजा ग्रुप के सह अध्यक्ष तथा लंदन में रहनेवाले हिंदुजा ने लंदन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की एशियन बिजनेस एसोसिएशन (एबीए) के सालाना भोज में यह बात कही. उन्होंने कहा, मैंने एक घर की तलाश में दुनिया भर की यात्रा की. मुझे जिनेवा, पेरिस, टोरंटो व न्यू यॉर्क सहित दुनिया के सभी प्रमुख शहरों में घर मिले, लेकिन जब अंतत: मैं लंदन आया तो, मैंने फैसला किया कि रहने के लिए यह दुनिया का सबसे बढि़या शहर है. उन्हांेने ब्रिटिश अर्थव्यवस्था की सफलता का श्रेय ब्रिटेन के आव्रजक सुमदाय की ‘जुगाड़ू’ भावना को दिया. उन्होंने कहा, ‘अपने आव्रजक समुदाय के बिना ब्रिटेन जी7 देशों में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था नहीं बन पायेगा. एशियाई लोगों ने अपने ‘जुगाडिज्म’ से अर्थव्यवस्था में नयी ऊर्जा डाली है.’ उन्होंने कहा कि ब्रिटेन ने एशियाई देशों को घर की पेशकश की है तो उनकी भी इसके प्रति कुछ जिम्मेदारी बनती है. उन्होंने एशियाई लोगों का आह्वान किया वे अपने अंगीकार किये देश तथा स्वदेस के बीच पुल का काम करें, ताकि व्यापार बढ़ाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके. उन्होंने कहा कि सफलता की कुंजी अच्छा स्थानीय भागीदार तलाशना है. उप प्रधानमंत्री ने भी की सराहनाहिंदुजा ने कहा, ‘हमारा ग्रुप 38 देशांे, विशेषकर एशिया जहां हमारी 72-74 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है, में मदद कर सकता है.’ एबीए की स्थापना 1995 में हुई थी जिसका उद्देश्य लंदन के एशियाई मूल के व्यापारिक समुदाय को आवाज प्रदान करना है. इस साल के सालाना भोज के मुख्य अतिथि उप प्रधानमंत्री निक क्लेग थे जिन्होंने ब्रिटिश एशियाई समुदाय की उद्यमी भावना की सराहना की. एबीए के चेयरमैन विजय गोयल ने कहा कि ब्रिटेन द्वारा ‘एशिया की नयी आर्थिक शक्तियों’ में व्यापार व निवेश अवसरों तक पहुंचने की जरूरत है.

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