स्वास्थ्य विभाग क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट-2010 जैसा कानून भी अब तक प्रभावी नहीं हुआ राज्य भर में कई पीएचसी, सीएचसी व अन्य अस्पताल वर्षों से निर्माणाधीन वरीय संवाददाता, रांचीस्वास्थ्य विभाग की कई योजनाएं व कार्यक्रम शुरू होने में विलंब हो रहा है. जन स्वास्थ्य से जुड़े इन कार्यक्रमों के शुरू न होने से नुकसान आम लोगों का हो रहा है. चिंताजनक बात यह है कि विभाग ने इन सबके लिए कोई समय सीमा निर्धारित भी नहीं की है. वहीं क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट-2010 जैसा कानून भी अब तक प्रभावी नहीं हुआ है. इससे मरीजों को गुणवत्तापूर्ण व बेहतर इलाज मिलने की उम्मीद कम है. वहीं राज्य भर में कई पीएचसी, सीएचसी व अन्य अस्पताल वर्षों से निर्माणाधीन हैं.झारखंड सरकार ने आठ फरवरी-2012 को क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को अधिसूचित किया था. इस तारीख के बाद खुले नये अस्पतालों को छह माह के अंदर व पहले से चल रहे अस्पतालों को एक साल के अंदर अपना निबंधन करा लेना था. पर ढाई वर्ष बाद भी राजधानी व दूसरे बड़े शहरों तक में एक्ट का पालन नहीं हो रहा. इस कानून के तहत सरकारी व गैर सरकारी सभी अस्पतालों, नर्सिंग होम व क्लिनिक के संचालन के लिए कुछ मापदंड तय किये गये हैं. निबंधित चिकित्सक, पारा मेडिकल स्टाफ, मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल की व्यवस्था, साफ-सफाई व सेवा शुल्क सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं वाले इन्हीं बिंदुओं के आधार पर अस्पतालों व नर्सिंग होम की जांच होनी है. उधर, सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति भी बदतर है. राज्य भर के कई अस्पतालों में ऑपरेशन ही नहीं हो रहे हंै. राज्य भर में कुल 53 फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) हैं. इनमें से 21 में चालू वित्तीय वर्ष 2014-15 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में कोई सिजेरियन ऑपरेशन नहीं हुआ था. इनमें चतरा, कोडरमा व पाकुड़ सदर अस्पताल भी शामिल हैं. पाकुड़ सदर अस्पताल में तो गत तीन वर्षों से कोई ऑपरेशन नहीं हो रहा है. स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल- राज्य भर में सीटी स्कैन व एक्स-रे सहित 12 करोड़ से अधिक के उपकरण बेकार- रांची सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का संचालन नहीं- शहरी स्वास्थ्य मिशन शुरू हुआ, पर इसमें तेजी नहीं- एनआरएचएम की मॉनीटरिंग के लिए बनी टीम क्षेत्र भ्रमण नहीं कर रही- एनआरएचएम के कुल 12480 में से 3024 पद रिक्त- बच्चों के लिए विटामिन-ए की खरीद नहीं- राज्य में मेडिकल शिक्षा की स्थिति बदतर- ज्यादातर पारा मेडिकल संस्थानों को एआइसीटीइ की मान्यता नहीं- सदर अस्पताल पाकुड़ में गत तीन वर्ष से ऑपरेशन नहीं- गढ़वा सदर अस्पताल में तीन वर्षों से कोई ऑपरेशन नहीं – आयुष की दवा नहीं, 182 केंद्रों के 332 चिकित्सक बेकार- जेनेरिक दवाओं का प्रचार-प्रसार नहीं- एमजीएम व सदर अस्पताल जमशेदपुर में जन औषधि केंद्र नहीं- सात ट्रॉमा सेंटर नहीं बने. गढ़वा व बहरागोड़ा में चिकित्सक नहीं
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न दवा, न ऑपरेशन, कई योजनाएं लंबति
स्वास्थ्य विभाग क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट-2010 जैसा कानून भी अब तक प्रभावी नहीं हुआ राज्य भर में कई पीएचसी, सीएचसी व अन्य अस्पताल वर्षों से निर्माणाधीन वरीय संवाददाता, रांचीस्वास्थ्य विभाग की कई योजनाएं व कार्यक्रम शुरू होने में विलंब हो रहा है. जन स्वास्थ्य से जुड़े इन कार्यक्रमों के शुरू न होने से नुकसान आम लोगों […]
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