मुंबई. हाल ही में किये गये एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि भारत सहित विश्व भर में पिछले दो दशक में लैंगिक समानता को लेकर किये जा रहे संगठनात्मक प्रयासों के बावजूद महिलाएं करियर में वांछित लाभ हासिल नहीं कर पा रहींं हैं तथा अब भी ज्यादातर स्तर पर उनका प्रतिनिधित्व कम ही है. उत्तरी अमेरिका क्षेत्र की ‘मर्सर’ अध्यक्ष पैट मिलिगन ने कहा, ‘गत कई वर्षों’ में लैंगिक विविधता एवं समानता के क्षेत्र में किये जाने वाले प्रयासों के कारण महिलाओं की भागीदारी दर और करियर की दशा में कुछ सुधार तो देखने को मिला है. लेकिन हमारे अध्ययन के मुताबिक हमने अब तक जो भी किया यदि हम इसी रफ्तार से करते रहे तो वास्तविक लैंगिक समानता पाने में हम अभी कई दशक पीछे हैं.’ महिलाओं की पूर्ण भागीदारी के लाभ पाने और महिला कर्मियों की खास जरूरत का ख्याल रखने के लिए अलग तरीके से काम करने की जरूरत है. ‘व्हेन वुमेन थ्राइव, बिजनेस थ्राइव’ नामक मर्सर रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया कि वैश्विक कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 41 प्रतिशत होने के बावजूद करियर के सभी स्तरों में वे ज्यादातर सहायक कर्मियांे के तौर पर ही हैं. रिपोर्ट के अनुसार महिला कार्यबल में से प्रोफेशलन स्तर पर 40 प्रतिशत कार्यरत हैं. 36 प्रतिशत प्रबंधन के स्तर पर जबकि केवल 26 प्रतिशत महिलाएं ही वरिष्ठ प्रबंधक के तौर पर कार्यरत हैं. 19 प्रतिशत महिलाएं कार्यकारी अधिकारी के तौर पर कार्यरत हैं.
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संगठनात्मक प्रयासों के बावजूद करियर में प्रगति नहीं कर पा रहीं महिलाएं : अध्ययन
मुंबई. हाल ही में किये गये एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि भारत सहित विश्व भर में पिछले दो दशक में लैंगिक समानता को लेकर किये जा रहे संगठनात्मक प्रयासों के बावजूद महिलाएं करियर में वांछित लाभ हासिल नहीं कर पा रहींं हैं तथा अब भी ज्यादातर स्तर पर उनका प्रतिनिधित्व कम […]
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