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झारखंड में सरकार बनाने का राह तलाशते कांग्रेस-झामुमो

नयी दिल्ली: झारखंड में वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और झामुमो नजदीक आते दिखाई दे रहे हैं जहां गत 8 जनवरी को अर्जुन मुंडा सरकार के गिरने के बाद से राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है. प्रदेश में कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी बी के हरिप्रसाद इस संबंध में रांची में कल कांग्रेस और झामुमो के […]

नयी दिल्ली: झारखंड में वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और झामुमो नजदीक आते दिखाई दे रहे हैं जहां गत 8 जनवरी को अर्जुन मुंडा सरकार के गिरने के बाद से राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है.

प्रदेश में कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी बी के हरिप्रसाद इस संबंध में रांची में कल कांग्रेस और झामुमो के नेताओं से बात करेंगे. संप्रग-2 सरकार को बाहर से समर्थन दे रही शिबू सोरेन की पार्टी प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन करते हुए वैकल्पिक सरकार बनाने की इच्छुक दिखाई देती है. भाजपा से झामुमो का नाता टूट जाने के बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था.

प्रदेश में कांग्रेस के अनेक नेता झामुमो के समर्थन से सरकार बनाने के पक्ष में हैं. राज्य विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल को समाप्त होने में अभी 18 महीने का समय शेष है. कांग्रेस ने राज्य में निर्दलीय मधु कोडा के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन किया था और भ्रष्टाचार के अनेक मामलों में कोडा के संलिप्त पाये जाने के बाद पार्टी को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा.

इसके अलावा झामुमो के कुछ नेताओं के खिलाफ अब भी मामले लंबित हैं. इसलिए कांग्रेस आलाकमान राज्य में इस तरह के गठबंधन को लेकर असमंजस में है.वर्ष 2009 के विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने वाले जेवीएम (पी) ने पिछले साल अप्रैल में एफडीआई के मुद्दे पर कांग्रेस से नाता तोड़ दिया था. अब लगता है कि कांग्रेस अगले लोकसभा चुनावों के लिए किसी पार्टी से गठबंधन करने के बारे में सोच विचार करके ही कदम उठाएगी.

झारखंड में 14 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस के एक ही सांसद सुबोधकांत सहाय हैं. झामुमो के दो सदस्य हैं. दोनों ने पिछला आम चुनाव अलग-अलग लड़ा था. 2004 के लोकसभा चुनावों में जब दोनों दलों ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था तो कांग्रेस ने छह और झामुमो ने चार सीटें जीती थीं.

इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि झामुमो के साथ सरकार बनाना अगले लोकसभा चुनावों के लिए दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर सौहाद्र्रपूर्ण तरीके से सहमति पर निर्भर करेगा.

राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि अगर झामुमो और कांग्रेस के बीच सहमति नहीं बन पाती तो झारखंड में विधानसभा चुनाव राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और दिल्ली के चुनावों के साथ होंगे.

झारखंड में राष्ट्रपति शासन की अवधि 18 जुलाई को समाप्त हो रही है और इससे पहले कोई फैसला लेना होगा. झामुमो के विधायक विष्णु प्रसाद भैया और पॉलस सुरीन ने कुछ दिन पहले धमकी दी थी कि अगर कांग्रेस 16 जून से पहले सरकार बनाने के बारे में कोई फैसला नहीं करती तो वे सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे.

भाजपा, झाविमो (पी) और आजसू पार्टी सदन को भंग करके नये सिरे से चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं.कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 10 जून को राहुल गांधी, ए के एंटनी, सुशील कुमार शिंदे और जयराम रमेश आदि नेताओं से इस संबंध में विचार विमर्श किया था. झारखंड की राजनीति में हमेशा अस्थिरता का माहौल देखा गया है.

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