हेडिंग ::: पैसे की कमी की वजह से योजनाएं लटकीं वरीय संवाददाता, रांचीराज्य के कई महकमों में पैसे का टोटा हो गया है. विधानसभा के मानसून सत्र में पूरक बजट की मांग के बाद भी बजटीय उपबंध नहीं किये जाने से स्वीकृत की गयी योजनाएं आगे नहीं बढ़ पा रही हैं. अधिकारियों का कहना है कि राज्य के ग्रामीण कार्य विभाग, स्वास्थ्य विभाग, कल्याण विभाग, मंत्रिमंडल निर्वाचन, श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग, ऊर्जा विभाग, भवन निर्माण जैसे विभागों में पैसे की कमी से कोई कार्य पूरा नहीं हो रहा है. कल्याण विभाग की ओर से छात्रवृत्ति योजना के बकाये का भुगतान करने के लिए तीन सौ करोड़ रुपये की मांग की गयी थी. पर विभाग को पूरक बजट में राशि उपलब्ध नहीं करायी गयी. इससे दो अरब से ज्यादा के बकाये का भुगतान अब तक नहीं किया जा सका है. ऊर्जा विभाग की ओर से छह सौ करोड़ की योजनाओं से संबंधित निविदा को इसलिए अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है, क्योंकि राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना से संबंधित योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिल पायी है. यह योजना 2011-12 में बनायी गयी थी. इतना ही नहीं पेंशन योजनाओं और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए भी अतिरिक्त राशि की मांग की गयी थी. पूरक बजट में विभागों की ओर से की गयी मांगविभाग के नामकुल मांग कृषि एवं गन्ना विकास27.60 करोड़निर्वाचन विभाग110 करोड़ऊर्जा विभाग150 करोड़वित्त विभाग (ब्याज भुगतान)10 करोड़श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण96.76 करोड़अल्पसंख्यक कल्याण38.16 करोड़ग्रामीण विकास36.00 करोड़ग्रामीण कार्य विभाग761.02 करोड़पंचायती राज416.44 करोड़पीएचइडी1.62 करोड़जल संसाधन5.35 करोड़प्राथमिक एवं जन शिक्षा 10.06 करोड़
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फ्लैग— पूरक बजट की मांग के बाद भी बजटीय उपबंध नहीं
हेडिंग ::: पैसे की कमी की वजह से योजनाएं लटकीं वरीय संवाददाता, रांचीराज्य के कई महकमों में पैसे का टोटा हो गया है. विधानसभा के मानसून सत्र में पूरक बजट की मांग के बाद भी बजटीय उपबंध नहीं किये जाने से स्वीकृत की गयी योजनाएं आगे नहीं बढ़ पा रही हैं. अधिकारियों का कहना है […]
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