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प्रभावित परिवारों को एक महीने में घर मुहैया कराएं : हाइकोर्ट

कोर्ट ने कहा : घर देना कल्याणकारी राज्य की जिम्मेवारी. वह अपनी जिम्मेवारी से भाग नहीं सकती है. समय सीमा के अंदर पीडि़त परिवार को घर मुहैया कराएं, नहीं तो अफसर हाजिर होंकहा, युद्ध स्तर पर काम करें, एक माह में घर देंमामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगीमामला इसलाम नगर के बेघरों को […]

कोर्ट ने कहा : घर देना कल्याणकारी राज्य की जिम्मेवारी. वह अपनी जिम्मेवारी से भाग नहीं सकती है. समय सीमा के अंदर पीडि़त परिवार को घर मुहैया कराएं, नहीं तो अफसर हाजिर होंकहा, युद्ध स्तर पर काम करें, एक माह में घर देंमामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगीमामला इसलाम नगर के बेघरों को घर देने कारांची. झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को इसलाम नगर से अतिक्रमण हटाओ अभियान में बेघर हुए लोगों को घर मुहैया कराने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस डीएन पटेल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार की मशीनरी के काम करने के तरीके पर नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि एक माह के अंदर प्रभावित परिवारों को घर मुहैया करा दिया जाये. युद्ध स्तर पर काम कर लोगों के बुनियादी जरूरत को पूरा किया जाये. यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो संबंधित अफसरों को कोर्ट में हाजिर कराया जायेगा. खंडपीठ ने मौखिक रुप से कहा कि घर उपलब्ध कराना कल्याणकारी राज्य की जिम्मेवारी है. राज्य सरकार अपनी जिम्मेवारी व जवाबदेही से भाग नहीं सकती है. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 दिसंबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि मधुकम के रूगड़ीगढ़ा व खादगढ़ा में 352 यूनिट बन कर तैयार हो गये हैं. बिजली-पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है. 92 यूनिट के लिए जमीन मिल गयी है. कैबिनेट ने अपनी सहमति भी दे दी है. विधानसभा चुनाव के कारण रांची नगर निगम को जमीन नहीं मिल पायी है. वहीं नगर निगम की ओर से बताया गया कि निर्माणाधीन यूनिटों में कुछ बुनियादी काम बचे हुए हैं. इसके लिए 19 करोड़ रुपये की जरूरत है. राज्य सरकार से इसकी मांग की गयी है. पैसे मिलते ही काम पूरा हो जायेगा. प्रार्थी की ओर से बताया गया कि तीन साल से अधिक होने जा रहा है, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी प्रभावित परिवारों को अब तक घर नहीं दिया गया है. राज्य सरकार ने एक वर्ष में घर देने संबंधी अंडरटेकिंग भी दी थी. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मो शकील ने अवमानना याचिका दायर कर हाइकोर्ट के आदेश का अनुपालन कराने तथा संबंधित दोषी अधिकारियों के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने का आग्रह किया है.

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