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शिक्षा और चिकित्सा के लिए तरस रही जनता

सिमडेगा (विधानसभा रिपोर्ट)रांची : फोटो: विमला प्रधान, नियेल तिर्की, प्रो देवराज प्रसाद, चंदन डे, अविनाश कुमार, फोटो: 5 एसआइएम: एस-जमुना खैर डोंगा घाट से नाव पर नदी पार करते ग्रामीण.रविकांत साहूसिमडेगा विधानसभा क्षेत्र में बुनियादी सुविधाआंे का घोर अभाव है. आज भी विधानसभा के लोगों को उच्च शिक्षा तथा बेहतर चिकित्सा व्यवस्था के लिये ओडि़शा […]

सिमडेगा (विधानसभा रिपोर्ट)रांची : फोटो: विमला प्रधान, नियेल तिर्की, प्रो देवराज प्रसाद, चंदन डे, अविनाश कुमार, फोटो: 5 एसआइएम: एस-जमुना खैर डोंगा घाट से नाव पर नदी पार करते ग्रामीण.रविकांत साहूसिमडेगा विधानसभा क्षेत्र में बुनियादी सुविधाआंे का घोर अभाव है. आज भी विधानसभा के लोगों को उच्च शिक्षा तथा बेहतर चिकित्सा व्यवस्था के लिये ओडि़शा या रांची की ओर जाना पड़ता है. उच्च शिक्षा के नाम पर विधानसभा क्षेत्र में एकमात्र अंगीभूत कॉलेज है. यहां भी शिक्षकों की कमी है. यहां के जन प्रतिनिधियों ने इस दिशा में कभी कोई ठोस प्रयास नहीं किया. चिकित्सा सुविधा के नाम पर जिला मुख्यालय में अस्पताल भवन बनाया गया है़, लेकिन यहां चिकित्सा की कोई व्यवस्था नहीं है़ मामूली सरदी-बुखार तक की ही इलाज इस अस्पताल में लोग करा सकते हैं. दुर्घटना होने पर मरहम पट्टी कर मरीजों को रांची रेफर कर दिया जाता है. पेयजल के नाम पर लगभग 30 वर्ष पूर्व एक पानी टंकी का निर्माण उस समय की आबादी के अनुपात में किया गया था़ वर्तमान में शहरी क्षेत्र की आबादी लगभग तीन गुनी बढ़ी है. शहरी क्षेत्र के 60 प्रतिशत से भी अधिक लोगों को आज भी शुद्ध पीने का पानी नहीं मिलता है. सिंचाई की भी यहां उपयुक्त सुविधा नहीं है. ऐसी स्थिति में किसान सिर्फ एक ही फसल कर पाते हैं. यहां सब्जी उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं. यदि सिंचाई की सुविधा हो, तो यहां के किसान सब्जी उत्पादन कर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकते हैं. रोजगार के साधन भी उपलब्ध हो सकते हैं. रोजगार के अभाव में यहां से युवक-युवतियां पलायन कर रहे हैं. बिजली आपूर्ति की स्थिति भी बदतर है़ सात वर्षों से भी ज्यादा समय से विद्युत ग्रिड का निर्माण हो रहा है, लेकिन अब भी अधूरा है. बातचीत छोटे शहरों में आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है. व्यवस्था नहीं बदल रही है. सुविधा बढ़ेगी, तो रोजगार के साधन बढ़ेंगे. चंदन डे सामाजिक कार्यकर्ताजीवन के सभी क्षेत्रों में पतन हो चुका है़ मनुष्य जीवन में नैतिकता तार-तार हो गयी है़ चुनाव प्रक्रिया लोकतंत्र का प्राण है़ पतन के बाद उत्थान का दौर आरंभ होता है़ अब उत्थान का समय आ गया है़ सभी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे़प्रो देवराजअन्य शहरों की तरह यहां भी उच्च शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए. आइटीआइ सेंटर खुले. उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ किया जा सकता है. उच्च शिक्षा के लिये यहां के विद्यार्थियों को बाहर जाना पड़ता है़ यहां खेल के क्षेत्र में अच्छी संभावना है. इस दिशा में ध्यान दिया जाना चाहिए. अविनाश कुमारविद्युत ग्रिड का काम शुरू कराया : विमला प्रधान विधानसभा क्षेत्र में विकास के अनेक कार्य किये गये हैं पर्यटन के क्षेत्र में रामरेखा धाम, वन दुर्गा, दनगदी, करंगागुड़ी सहित अन्य क्षेत्रों को विकसित किया गया. मैं बुनियादी सुविधा मुहैया कराने को लेकर हमेशा तत्पर रही हूं. बीरू में बन रहे ग्रिड का काम रूक गया था़ उसे शुरू कराया गया. जमीन अधिग्रहण की समस्या का समाधान हुआ. ओल्ड एज होम का निर्माण,वर्किग वीमेंस हॉस्टल का निर्माण कराया गया. खुद में सिमटी रही विधायक : नियेल तिर्कीमंत्री या विधायक रहते हुए विमला प्रधान कुछ नहीं कर पायीं. आज क्षेत्र में उनके द्वारा किये गये कार्य जमीन पर नजर नहीं आ रहे हैं. वे अपने तक सीमित रहीं़ जनता के अधिकारों से उन्हें कुछ लेना-देना नहीं है़ उन्होंने क्षेत्र के लिये कुछ नहीं किया़ यही कारण है कि लोग आज उनका विरोध कर रहे हैं़ग्राउंड रियलिटी जमीनी हकीकत जमुना खैर डोंगा घाट में नहीं बना पुलसिमडेगा विधानसभा क्षेत्र स्थित शंख नदी में जमुना खैर डोंगा घाट पर आजादी के बाद से आज तक पुल नहीं बन सका. आजादी के बाद 1952 से कितने विधायक व मंत्री बने, लेकिन जमुनाखैर डोंगा घाट की तकदीर व तसवीर नहीं बदली़ पुल नहीं बनने के कारण लगभग तीन हजार आबादी को आवागमन में परेशानी हो रही है. गरमी के दिन में लोग जैसे-तैसे नदी पार कर लेते हैं, किंतु बारिश आते ही ग्रामीणों की स्थिति दयनीय हो जाती है. जमुना खैर, बड़की छप्पर, तुमडेगी, मेरोमलोया, गुल्डा, रिगड़ी, सेमरबेड़ा, मैघाट के लोग उफनती नदी में पेड़ के तने से बने डोंगा पर सवार होकर नदी पार करते हैं. इस गांव के लोगों को रेंगारीह व पोड़ाटोली बाजार जाना पड़ता है. उक्त सभी गांव के बच्चे रेंगारीह स्कूल में ही पढ़ने जाते है़ं नदी यदि खतरनाक स्थिति में रहती है, तो बच्चे स्कूल नहीं जा पाते. उक्त गांव के लोग नदी पार होकर पांच किलोमीटर की दूरी तय कर रेंगारीह पहुंचते हैं. यदि गांव के लोग गरजा होकर रेंगारीह जायेंगे, तो उन्हें लगभग 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी पडेगी़ इन गांवों के लोगों की पीड़ा को आज तक किसी जनप्रतिनिधि ने नहीं समझा. कब बदेली की तसवीरफोटो: 9 सिमडेगा: 1 सदर थाना क्षेत्र के बीरू में लगभग सात साल पहले करोड़ों रुपये की लागत से बननेवाले विद्युत ग्रिड का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, ग्रामीण विकास मंत्री एनोस एक्का तथा स्थानीय विधायक नियेल तिर्की ने किया गया था. शिलान्यास के समय कहा गया था कि ग्रिड का निर्माण कार्य 18 माह में पूरा होगा. लेकिन, अब सात साल बाद भी इसका निर्माण पूरा नहीं हो सका. ग्रिड का निर्माण होता, तो जिले को निर्बाध रूप से बिजली मिलती. लो वोल्टेज की समस्या समाप्त हो जाती. उद्योग लगने से क्षेत्र के लोगों को रोजगार भी मिलत. जिले से पलायन की समस्या कम हो जाती. कुल मतदाता- 2,05,353महिला मतदाता- 1,03,743पुरुष मतदाता- 1,01,610कुल बूथ : 258 बूथ लोकेशन : 209 (शहरी : 11, ग्रामीण : 198) नामांकन की अंतिम तिथि : 14.11.2014नामांकन पत्रों की जांच : 15.11.2014नाम वापसी की तिथि : 17.11.2014मतदान की तिथि : दो दिसंबर बॉक्सअब तक के क्षेत्र के प्रतिनिधिवर्षविधायकदल1951अलफेड उरांवजेएचपी1957मार्शल कुल्लूजेएचपी1962 सिमोन उरांवएसडब्ल्यूए1967पी टोप्पोस्वतंत्र1969 गजाधर गोंडबीजेएस1972 साइमन तिग्गाकांग्रेस 1977निर्मल कुमार बेसराजेएनपी1980 निर्मल कुमार बेसराभाजपा1985 निर्मल कुमार बेसराभाजपा 1990 निर्मल कुमार बेसराभाजपा 1995 नियेल तिर्कीझामुमो2000नियेल तिर्कीकांग्रेस 2005 नियेल तिर्कीकांग्रेस 2009 विमला प्रधानभाजपा

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