रांची: शिक्षा के क्षेत्र में काम करनेवाली स्वयंसेवी संस्थाओं ने लोहे का सामान बेचनेवाली दुकानों से काजू- किसमिस खरीद कर बच्चों को दिया है. अस्तित्वहीन दुकानों से कंबल, चादर और मच्छरदानी की खरीद की गयी है. सिर्फ यही नहीं दाल-चावल भी इसी तरह की दुकानों से खरीद कर बच्चों को खाना खिलाया गया.
सेतु पाठय़ केंद्रों की जांच के दौरान यह खुलासा हुआ है. केवल कागज पर ही बच्चों को पढ़ाने और जुबानी काजू-किसमिस खिलाने का यह मामला गोड्डा के सुंदर पहाड़ी और बोआरीजोर प्रखंडों के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों का है. महाशक्ति न्यास, आशा किरण और सरना समाज सेवा संस्थान नामक स्वयंसेवी संस्थाओं (एनजीओ) को इन प्रखंडों के ग्रामीण क्षेत्रों में सेतु आवासीय और गैर आवासीय पाठय़ केंद्र चलाने का काम दिया गया था.
महाशक्ति न्यास द्वारा दिये गये बिल की जांच में पाया गया कि संस्था ने भदोरिया गांव की जिस दुकान से काजू किसमिस खरीदने का दावा किया है उस दुकान में कुदाल, गंइता सहित लोहे के छोटे-छोटे समान बिकते हैं. इन तीनों स्वयंसेवी संस्थाओं ने बच्चों को काजू किसमिस खिलाने के नाम पर 1.31 लाख का फर्जी भुगतान लिया है.
आवासीय सेतु पाठय़ केंद्रों पर बच्चों के लिए खाना पकाने के नाम पर 1.67 लाख रुपये का बरतन खरीदा गया. भुगतान के लिए अपर बाजार के शिवम हार्डवेयर का बिल दिया गया है,जबकि इस नाम का कोई दुकान बिल पर लिखे गये पते पर नहीं है. इसी तरह लोहरदगा के शक्ति होजियरी से बच्चों के लिए 67 हजार रु के चादर,मच्छरदानी व कंबल खरीदे गये. यह दुकान भी बिल पर लिखे गये पते पर नहीं है. आशा किरण ने 5.67 लाख रुपये का दाल,चावल आदि जिस दुकान से खरीदा, वह दुकान भी बिल पर लिखे गये पते पर नहीं है. जांच के दौरान इन प्रखंडों में घाटू टोला, घटियारी-एक और दो, पहाड़पूर, सुंदरमोड़, कुशमाहा सहित अन्य आवासीय सेतु पाठय़ केंद्र केवल कागज पर ही पाये गये हैं.