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समर्थन वो वापस लेंगे तब भी अल्पमत की सरकार चलेगी : हेमंत सोरेन

लालू को दिया था झामुमो राजद के गंठबंधन का प्रस्तावकांग्रेस का भाजपा से अंदरूनी गंठजोड़प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेता स्वार्थ के कारण नहीं होने दिया गंठबंधनवरीय संवाददाता, रांची मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि समर्थन वापस लेना न लेना कांग्रेस और राजद पर निर्भर करता है. इसके लिए वह पहले से ही तैयार हैं. जब […]

लालू को दिया था झामुमो राजद के गंठबंधन का प्रस्तावकांग्रेस का भाजपा से अंदरूनी गंठजोड़प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेता स्वार्थ के कारण नहीं होने दिया गंठबंधनवरीय संवाददाता, रांची मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि समर्थन वापस लेना न लेना कांग्रेस और राजद पर निर्भर करता है. इसके लिए वह पहले से ही तैयार हैं. जब वो समर्थन वापस लेने की घोषणा करेंगे तब भी सरकार चलती रहेगी. अब रखा क्या है. अल्पमत में सरकार आ जायेगी, फिर भी चलती रहेगी. अल्पमत की सरकारें भी चलती हैं. इसकी शुरुआत तो भाजपा ने ही की है. महाराष्ट्र में भी उन्होंने अल्पमत की ही सरकार बनायी है. फिलहाल हम वेट एंड वाच की स्थिति में हैं. जब जैसा होगा तब सोचा जायेगा. फिलहाल सारा ध्यान चुनाव पर है. मुख्यमंत्री प्रभात खबर से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि झामुमो ने नहीं बल्कि कांग्रेस और राजद ने गंठबंधन तोड़ा है. गंठबंधन टूटने की मूल वजह है कांग्रेस की अंदरूनी समस्या. कुछ प्रदेश के नेता अपने स्वार्थ के कारण गंठबंधन होेने नहीं दिया. पूर्व में ही झामुमो के लिए 41 सीट पर सहमति बनी थी. उसमें कांग्रेस के नेता और राजद के नेता भी उपस्थित थे. फिर अचानक कुछ लोगों का स्वार्थ जाग उठा. वो अपने लिए झामुमो की सीटिंग सीट मांग रहे थे. भला सीटिंग सीट कोई कैसे दे देगा. क्या कांग्रेस के लोग अपनी सीटिंग सीट दे देते? मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कांग्रेस पर बरसते हुए कहा कि राज्य में जब भी अस्थिरता आयी है, उसके लिए कांग्रेस ही दोषी है. राष्ट्रपति शासन लगाने की फिराक में ही कांग्रेस के लोग रहते थे. पहली बार झामुमो द्वारा गंठबंधन की सरकार बनानी थी तब भी झामुमो ने यूपीए को ही पहले संपर्क किया था. तब कांग्रेस के नेताओं ने साथ नहीं दिया था. फिर भाजपा के साथ सरकार बनी थी. श्री सोरेन ने कहा कि वह चाहते थे कि गंठबंधन में सरकार है तो गंठबंधन में ही चुनाव लड़ा जाये. पर कांग्रेस के लोग ही तैयार नहीं हुए तो वह क्या कर सकते हैं. श्री सोरेन ने आरोप लगाते हुए कहा कि दरअसल कांग्रेस और भाजपा में अंदरूनी गंठबंधन हुआ है. कांग्रेस भाजपा को वाक ओवर देना चाहती है. लालू को दिया था गंठबंधन का प्रस्तावश्री सोरेन ने कहा कि कांग्रेस से गंठबंधन टूटने की आशंका को देखते हुए उन्होंने राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद से बात की थी. उनसे कहा था कि सेक्युलर ताकतों को एकजुट होकर लड़ना चाहिए. झामुमो और राजद के गंठबंधन का प्रस्ताव दिया था. पर बात नहीं बनी. इसके बाद ही झामुमो ने अकेले चलने का फैसला लिया. 14 साल बनाम 14 माहश्री सोरेन ने कहा कि झामुमो 14 साल बनाम 14 माह के नारे के साथ चुनावी मैदान में उतरेगा. भाजपा को नौ सालों का हिसाब देना होगा. सबसे अधिक शासन उनका रहा. झामुमो 14 माह के शासन का हिसाब देने के लिए तैयार हैं.आने वाले समय में पता चलेगा कि इस सरकार ने क्या किया. जितने काम इस शासनकाल में हुए शायद ही किसी सरकार ने किया हो. जनता के बीच जा रहे हैं. अब जनता तय करे कि उन्हें किधर जाना है. किसी के साथ गंठबंधन नहींश्री सोरेन ने कहा कि छोटे दल या निर्दलीय के साथ कोई गंठबंधन नहीं होगा. झामुमो पूरे 81 सीट पर अपने उम्मीदवार को उतारेगा. खुद के चुनाव लड़ने के बाबत उन्होंने कहा कि उन्हें तो लड़ाना ही है. फिर भी पार्टी का आदेश होगा तो वह लड़ेंगे. श्री सोरेन ने कहा कि दुमका और पलामू के किसी एक सीट पर वह विचार कर रहे हैं.

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