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गढवा (विधानसभा रिपोर्ट) फोटो : दीपू से

गढ़वा: कई सिंचाई योजनाएं, पर हर साल सूखा विनोद पाठक/ जीतेंद्र सिंह रांची/ गढ़वा : झारखंड अलग राज्य बनने के 14 साल बाद भी गढ़वा विधानसभा क्षेत्र की तसवीर नहीं बदल सकी है. सिंचाई की बात हो या रोजगार की. शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य बुनियादी सुविधाओं में भी यह क्षेत्र झारखंड बनने के पहले से […]

गढ़वा: कई सिंचाई योजनाएं, पर हर साल सूखा विनोद पाठक/ जीतेंद्र सिंह रांची/ गढ़वा : झारखंड अलग राज्य बनने के 14 साल बाद भी गढ़वा विधानसभा क्षेत्र की तसवीर नहीं बदल सकी है. सिंचाई की बात हो या रोजगार की. शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य बुनियादी सुविधाओं में भी यह क्षेत्र झारखंड बनने के पहले से ही पिछड़ा हुआ है. गढ़वा की चिरलंबित महत्वाकांक्षी कनहर जलाशय सिंचाई परियोजना वर्ष 1980 दशक से चली आ रही हैं, लेकिन हर साल किसानों को सूखे की मार झेलनी पड़ती है. चिनिया प्रखंड अंतर्गत चिरका जलाशय में गेट नहीं बनने तथा नहर के अभाव में यह योजना सफेद हाथी साबित हो रही है. गढ़वा प्रखंड अंतर्गत अन्नराज डैम की हालत भी जर्जर है. इस कारण इसका कमांड एरिया बढ़ने की बजाय लगातार घटता जा रहा है. गढ़वा शहर में बाइपास सड़क का निर्माण भी पिछले कई चुनावों से मुद्दा बनता आ रहा है. इसके अभाव में गढ़वा शहर से गुजरे एनएच 75 से पार होना मुश्किल सफर साबित होता है. इस क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलाने के लिये कोई ठोस पहल नहीं की गयी. इसके कारण एक बड़ी आबादी राज्य के बाहर पलायन को मजबूर है. गढ़वा जिला मुख्यालय होने के कारण यहां स्वास्थ्य एवं शिक्षा की सुविधा के लिये जिले भर से लोग पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें निराश होना पड़ता है. करीब 13.50 लाख की आबादी की सुविधा के लिये बना सदर अस्पताल आजतक अनुमंडल अस्पताल के रूप में ही चल रहा है. सदर अस्पताल के लिये स्वीकृत भवन भी नहीं बन पाया है. इसके कारण 30 बेड पर ही यह अस्पताल चल रहा है. जिला मुख्यालय में एक मात्र एसएसजेएस नामधारी महाविद्यालय अंगीभूत कॉलेज है. जिला मुख्यालय से गुजरे एनएच 75 की हालत काफी जर्जर है. यह सड़क वर्ष 2010 से ही अधूरी पड़ी है. यही स्थिति पेयजल की भी है. रंका, मेराल प्रखंड मुख्यालय में बना पेयजल आपूर्ति केंद्र कई वर्षों से अधूरा है. 28जीडब्लूपी2-सत्येंद्रनाथ तिवारी की तसवीरहाल ही में झाविमो से भाजपा में शामिल हुये गढ़वा विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में विकास के कई कार्य किये हैं. जर्जर गढ़वा-चिनिया पथ एवं रंका-रमकंडा पथ का निर्माण, गुरदी पहाड़ को काटकर सड़क का निर्माण कराकर रास्ता सुगम कराना उनकी उपलब्धियों में शामिल है. इसके अलावे उन्होंने अपने विस में 4000 कूप, 3500 चापाकल, 82 पुल-पुलिया का निर्माण कराया है. काफी दिनों से चली आ रही मांग के अनुरूप गढ़वा शहर में पानी की समस्या दूर करने के लिए कोयल नदी से 10 किमी लंबी 40 करोड़ की लागतवाले जलापूर्ति योजना का निर्माण एवं दानरो नदी में चेकडैम का निर्माण कराना भी उनकी उपलब्धियां रही है. 28जीडब्लूपी1-गिरिनाथ सिंह की तसवीरपिछले विधान सभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे पूर्व विधायक गिरिनाथ सिंह ने कहा कि बीते पांच वर्षों में गढ़वा का विकास थम सा गया है. क्षेत्र के हालात बदलने के लिये उनके पास महत्वपूर्ण एजेंडा है. उन्होंने कहा कि पूरा क्षेत्र पिछले चार वर्षों से अकाल की चपेट में है. इससे निजात दिलाने के लिये कनहर, कोयल, दानरो, व यूरिया नदी के पानी को किसानों के खेत तक पुहंचाकर क्षेत्र में समृद्धि लाना है. उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में वर्षों से लंबित कृषि विश्वविद्यालय का निर्माण, एनएच-75, सभी गांव तक बिजली पहुंचाने जैसे कई महत्वपूर्ण अधूरे कार्यों को पूरा कराने का संकल्प उन्होंने लिया है. गढ़वा विधानसभा क्षेत्रकुल मतदाता-300274महिला मतदाता-140155पुरुष मतदाता-160119कुल मतदान केंद्रों की संख्या-352नामांकन की तिथि-28 अक्तूबर से नामांकन की अंतिम तिथि-पांच नवंबरनामांकन पत्रों की जांच-सात नवंबरनाम वापस लेने की तिथि-10 नवंबर मतदान की तिथि-25 नवंबर सत्येंद्र तिवारी ने रोका था गिरिनाथ सिंह का विजय रथराजद के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह ने इस क्षेत्र का चार बार प्रतिनिधित्व किया है. 2009 में उनके विजय रथ को झारखंड विकास मोरचा के टिकट से चुनाव लड़नेवाले सत्येंद्र नाथ तिवारी ने रोका था. श्री तिवारी ने चुनाव से ठीक पहले भाजपा का दामन थाम लिया है. 1990 में भाजपा अंतिम बार इस सीट से चुनाव जीती थी. यहां पहले चरण में मतदान होना है. यहां की राजनीतिक स्थिति धीरे-धीरे साफ होने लगी है. इस बार कौन इस क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व करेगा, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा. वर्षविजेता पार्टी 1951राजकिशोर सिन्हाकांग्रेस1957राजेश्वरी सरोज दासकांग्रेस1962गोपीनाथ सिंहएसडब्ल्यूए1967लक्ष्मी प्रसादकांग्रेस1969गोपीनाथ सिंहबीजेएस1972अवध किशोर तिवारीकांग्रेस1977विनोद नारायण दीक्षितजनता पार्टी1980युगल किशोर पांडेयकांग्रेस1985गोपीनाथ सिंहभाजपा1990गोपीनाथ सिंहभाजपा1993गिरिनाथ सिंहजनता दल1995गिरिनाथ सिंहजनता दल2000गिरिनाथ सिंहराजद2005गिरिनाथ सिंहराजद2009सत्येंद्रनाथ तिवारीझाविमो28जीडब्लूपी-3 से 7 तक प्रतिक्रिया देनेवालों की तसवीरगढ़वा के बाइपास व कनहर के अलावे बुनियादी समस्यायें इस बार चुनावी मुद्दे होंगे. लेकिन इस बार ठोस आश्वासन से जनता ठगनेवाली नहीं है. सपने दिखानेवाले प्रत्याशियों को इस चुनाव में खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.सुनील बिहारी, व्यावसायी जीतने के बाद सब अपने परिवार व रिश्तेदार के लिये करते हैं. उन्होंने कहा कि 1964 में वे मैट्रिक पास हुये थे. उनके पास कुछ नहीं है सरकार ने बाद में एक एकड़ बंजर जमीन उन्हें दे दी जिसमें सिंचाई का कोई साधन नहीं है.जय किशोर चौधरी, किसान, अटौला हर पांच साल में एक बार चुनाव होता है, और हर चुनाव में लोगों की उम्मीदें जगती है कि इस बार का प्रतिनिधि विकास का काम जरूर करेगा. लेकिन हर बार जनता छली जाती है. शीला देवी, चिनिया रोडकागजों पर विकास विगत सरकारों की नियत व जनता की नियति बन गयी है,अब जनता जग गयी है.भोलू जी, टंडवा चुनाव में बुनियादी समस्याओं के अलावे महिलाओं को सुरक्षा की गारंटी देनी होगी तभी महिलायें वोट देंगी. इसके साथ ही महंगाई व सुरक्षा भी इस चुनाव का मुद्दा बनेगा.सबिता देवी

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