देश का सिस्टम तैयार करता है गरीबजन धन योजना के तहत खोले गये 6.2 करोड़ अकाउंटफोटो तिवारी 9,11,12संवाददाता, जमशेदपुर देश की वित्तीय व्यवस्था में बदलाव हो रहा है. बदलाव सकारात्मक है, लेकिन इसका असर उन लोगों तक नहीं हो रहा है, जो वाकई में इसके हकदार हैं. आज भी देश के करीब 25 करोड़ लोगों के बैंक अकाउंट नहीं हैं. उक्त बातें शुक्रवार को एक्सएलआरआइ में इन्क्लूसन फाइनांस पर आयोजित थर्ड इंटरनेशनल सेमिनार के दौरान मुख्य रूप से उभर कर सामने आयी. कार्यक्रम की शुरुआत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एमडी बी श्रीराम, बासिक्स के संस्थापक विजय महाजन, एक्सएलआरआइ के डायरेक्टर फादर इ अब्राहम और प्रोफेसर एचके प्रधान ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर की. इसके बाद इन्क्लूसिव फाइनांस से संबंधित बातों पर सबों ने प्रकाश डाला. इस मौके पर नाबार्ड के पूर्व चेयरमैन वाइसी नंदा, चंद्रशेखर घोष, प्रकाश कुमार, सीएस रेड्डी, डॉ आलोक मिश्रा समेत समाज के अलग-अलग सेक्टर से जुड़े लोगों ने हिस्सा लिया.———बोनसाई की तरह हैं गरीब लोग एक्सएलआरआइ के डायरेक्टर फादर इ अब्राहिम ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश में आज भी हालात सही नहीं है. देश के कई इलाके में आज भी बैंक में अकाउंट खोलने के लिए घूस देना पड़ता है. उन्होंने देश के सिस्टम पर बोलते हुए कहा कि देश में अगर गरीबी के लिए कोई जिम्मेवार है, तो सिर्फ देश का सिस्टम है. उन्होंने गरीबों की तुलना बोनसाई के पौधे से की, जो होते तो पौधे हैं, लेकिन वे दूसरों की तुलना में इतने छोटे कि उनकी वास्तविकता ही खत्म हो जाती है. फादर अब्राहिम ने प्रधानमंत्री जन धन योजना की सराहना की. ——-विश्वास बनाये रखना सबसे बड़ी चुनौती अपने संबोधन में एसबीआइ के एमडी बी श्रीराम ने कहा कि उन्होंने 35 साल पहले एक्सएलआरआइ में एडमिशन की इच्छा जतायी थी. एग्जाम भी दिया, लेकिन किसी कारण से एडमिशन नहीं मिल पाया. उन्होंने कहा कि आज के दौर में बैंक हो या फिर देश का कोई भी सेक्टर, विश्वसनीयता बनाये रखना सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि जब वे सीएमसी वेल्लोर में थे, तो एक व्यक्ति था, जिसने अपनी जिंदगी की पाई- पाई की कमाई को बैंक में जमा किया. उसने अकाउंट में पैसे जमा भले कर दिया, लेकिन, उसे विश्वास नहीं था कि उसके पैसे बैंक में सुरक्षित हैं, इसे देखने के लिए वह हर एक-दो दिनों पर 100-200 रुपये निकालता और फिर जमा कर देता था, पूछने पर बताया कि यह देखता हूं कि पैसे अकाउंट में हैं कि नहीं. उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी जितना भी एडवांस हो जाये, लेकिन विश्वास सबसे बड़ी पूंजी है. ——-एमडी के बोल – कनेक्टिविटी फेल, तो सब फेल – किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए स्किल, रिस्क, मार्केट और एजुकेशन का होना जरूरी – चीजें जितनी सिंपल होगी, लोग उसे उतना पसंद करते हैं. – यंग माइंड के पास होता है यंग एनर्जी और यंग आइडिया – अकाउंट खोलने की प्रक्रिया सरल की जा रही है. – स्टेक होल्डर के साथ हमेशा अच्छा बरताव करें – कस्टमर और स्टाफ दोनों को एडुकेट करने का प्रयास किया जा रहा है – स्टाफ के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग शुरू की जा रही है – एसबीआइ कस्टमर सर्विस के लिए इंफ्रास्टक्चर बेहतर बनाने पर फोकस कर रहा है————–देश में राबो बैंक कल्चर बनाने की जरूरत कार्यक्रम के दौरान की नोट स्पीकर के रूप में बासिक्स के संस्थापक विजय महाजन उपस्थित थे. उन्होंने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री जन धन योजना समेत रूरल सेक्टर में सेल्फ हेल्प ग्रुप द्वारा किये जाने वाले कार्यों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में जब 2008 में मंदी आयी थी, उस वक्त सारे बैंकों पर बुरा असर पड़ा था. अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजरा, लेकिन दुनिया में सिर्फ एक ही बैंक था, जिस पर किसी प्रकार का कोई असर नहीं पड़ा और वह बैंक था राबो बैंक. यह मूल रूप से रूरल सेक्टर पर आधारित बैंक था, जिसकी बेहतरीन तकनीक की वजह से वह मंदी से अछूता रहा. इस दौरान उन्होंने को- ऑपरेटिव से ज्यादा अच्छा म्यूचुअल रिलेशन को बताया.
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