एजेंसियां, लंदनवैज्ञानिकों ने महज दो चम्मच खून से सात दिन में दो छोटे बच्चों में नयी रक्तवाहिनी विकसित करने में कामयाबी पायी है. इस उपलब्धि में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है.इन बच्चों में जिगर जठरांत्र नली (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट) से जिगर में जाने वाली नस नहीं थी. यह अनूठा प्रतिरोपण सह्लग्रेंस्का यूनिवर्सिटी अस्पताल में 2012 में किया गया.अस्थि मज्जा निकालने की जरूरत नहींगोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी की सह्लग्रेंस्का एकेडमी के प्रोफेसर माइकल ओलावसोन ने बताया, हमने मरीजों की स्टेम कोशिकाओं का उपयोग नयी रक्त वाहिनी विकसित करने में किया जो दोनों अंगों को उचित रूप से काम करने में मदद करता है. अनुसंधानकर्ताओं ने स्टेम कोशिका हासिल करने का एक तरीका खोजा जिसमें अस्थि मज्जा निकालने की जरूरत नहीं पड़ती.25 मिलीलीटर खून की जरूरतसह्लग्रेंस्का एकेडमी के प्रतिरोपण जीवविज्ञान की प्रोफेसर सुचित्रा सुमित्रन-होल्जरसन ने बताया, अस्थि मज्जा भेदना बहुत कष्टदायक है. मुझे लगा कि खून से कोशिका पाने का कोई रास्ता जरूर होगा. उनके तरीके में 25 मिलीलीटर खून की जरूरत पड़ती है जो चाय के चम्मच से तकरीबन दो चम्मच के बराबर है. उनका यह अनुसंधान ईबायोमेडिसिन में प्रकाशित हुआ है.
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बस दो चम्मच खून से सात दिन में रक्तवाहिनी की गयी विकसित
एजेंसियां, लंदनवैज्ञानिकों ने महज दो चम्मच खून से सात दिन में दो छोटे बच्चों में नयी रक्तवाहिनी विकसित करने में कामयाबी पायी है. इस उपलब्धि में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है.इन बच्चों में जिगर जठरांत्र नली (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट) से जिगर में जाने वाली नस नहीं थी. यह अनूठा प्रतिरोपण सह्लग्रेंस्का यूनिवर्सिटी अस्पताल […]
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