तसवीर भी हैरांची : पुलिस मुख्यालय में दैनिक वेतनभोगी के रूप में काम रही बिरहोर महिला कौशल्या गिद्ध की राज्य सरकार के आश्वासन के बावजूद सीधी नियुक्ति नहीं हो रही है. कौशल्या बताती है कि आदिम जनजाति की सीधी नौकरी का प्रावधान होने के बाद से वह राज्य सरकार के कई उच्चाधिकारियों से मिल चुकी है. सभी जगह से उसे आश्वासन ही मिला, नौकरी नहीं. वह कहती है जंगल में कंद-मूल खाकर बड़ी मुश्किल से मैंने मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. आदिम जनजाति को सीधी नियुक्ति की घोषणा के बाद मन में आस जगी थी, लेकिन अब लगता है कि वह बेकार ही था. मैं पिछले तीन माह से दौड़ रही हूं. सरकार के बड़े-बड़े पदाधिकारी भी मुझे नौकरी दिलाने में नाकाम रहे हैं. मैं निराश हो चुकी हूं. अब लगता है कि अपने बच्चे को भी पढ़ा कर फायदा नहीं है. सोच रही हूं कि वापस जंगल चली जाऊं .
बिरहोर महिला की नहीं हो रही है सीधी नियुक्ति
तसवीर भी हैरांची : पुलिस मुख्यालय में दैनिक वेतनभोगी के रूप में काम रही बिरहोर महिला कौशल्या गिद्ध की राज्य सरकार के आश्वासन के बावजूद सीधी नियुक्ति नहीं हो रही है. कौशल्या बताती है कि आदिम जनजाति की सीधी नौकरी का प्रावधान होने के बाद से वह राज्य सरकार के कई उच्चाधिकारियों से मिल चुकी […]
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