एजेंसियां, नयी दिल्लीदिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को हिरासत में पीटे जाने के उसके आरोप के समर्थन में उसे सम्मन पूर्व साक्ष्य देने को कहा है, जबकि प्राथमिकी दर्ज करने की उसकी याचिका खारिज कर दी. उसने दिल्ली पुलिस के छह अधिकारियों के खिलाफ यह आरोप लगाया था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनोज जैन ने कहा, ‘मुझे ऐसा लगता है कि इस बात की पूरी संभावना है कि यदि प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया, तो यह रद्द करने की रिपोर्ट में तब्दील हो सकती है, जो किसी अन्य को नहीं, पुनरीक्षण की मांग करनेवाले के उद्देश्य को प्रभावित करेगी.’ कोर्ट ने कहा, ‘बेशक किसी भी पुलिस अधिकारी को कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं है और बगैर किसी तार्किक कारण के किसी नागरिक की स्वतंत्रता का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता.’ दरअसल, निचली अदालत ने गलती करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देने से इनकार कर दिया था.
पुलिस किसी की स्वतंत्रता का अतिक्रमण नहीं कर सकती : कोर्ट
एजेंसियां, नयी दिल्लीदिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को हिरासत में पीटे जाने के उसके आरोप के समर्थन में उसे सम्मन पूर्व साक्ष्य देने को कहा है, जबकि प्राथमिकी दर्ज करने की उसकी याचिका खारिज कर दी. उसने दिल्ली पुलिस के छह अधिकारियों के खिलाफ यह आरोप लगाया था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनोज जैन […]
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