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दलमा आश्रयणी मामले में अपील याचिका पर सुनवाई जारी

मामले की अगली सुनवाई 31 अक्तूबर को होगीरांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को दलमा आश्रयणी के पांच किमी परिधि में इको सेंसेटिव जोन में संचालित इकाइयों की अपील याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान […]

मामले की अगली सुनवाई 31 अक्तूबर को होगीरांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को दलमा आश्रयणी के पांच किमी परिधि में इको सेंसेटिव जोन में संचालित इकाइयों की अपील याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से राज्य सरकार से कई सवाल भी पूछा. जानना चाहा कि प्रतिबंधित श्रेणी की इकाइयों को बंद कर दिया गया है. सुनवाई जारी रही. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 31 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से एएजी अजीत कुमार व स्टैंडिंग काउंसिल अभय कुमार मिश्रा ने खंडपीठ को बताया कि भारत सरकार ने 29 मार्च 2012 को दलमा आश्रयणी के पांच किमी परिधि (सरायकेला खरसावां व पूर्वी सिंहभूम जिला) को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया था. प्रतिबंधित श्रेणी की इकाइयों को बंद कर दिया गया है. इस श्रेणी में माइनिंग, शॉ मिल, क्रशर आदि आते है. नये उद्योगों की स्थापना 14 सदस्यीय मॉनिटरिंग कमेटी से अनुमति लेने के बाद ही हो सकती है. वहीं प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता राजीव रंजन ने सरकार के जवाब का विरोध करते हुए बताया कि 29 मार्च 2012 को जारी अधिसूचना को भूतलक्षी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता है. सभी वैधानिक प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद सरकार की अनुमति से स्थापना की गयी है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी दिनकर ब्रिक्स एवं अन्य की ओर से अलग-अलग याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गयी है.

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