आरटीआइ के तहत मांगी गयी जानकारी में सरकार का जवाबनयी दिल्ली. सरकार ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी व्यवस्था में दया याचिकाओं के निपटारे के लिए किसी समयसीमा का उल्लेख नहीं किया है और न ही संविधान में इसके लिए कोई समयसीमा तय है. सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत गृह मंत्रालय के न्यायिक प्रभाग ने यह जानकारी देते हुए कहा, ‘केंद्र सरकार ने दया याचिका में देरी के आधार पर मौत की सजा को उम्र्र कैद में बदलने के उच्चतम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ सुधारात्मक याचिका दायर की है.’ मंत्रालय ने कहा, दया याचिकाओं को बिना देरी के निपटारे के लिए यथासंभव प्रयास किया जाता है. इस संबंध में गृह मंत्रालय ने एक परामर्श भी जारी किया है.गौरतलब है कि इस वर्ष जनवरी में एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार की ओर से दया याचिका पर निर्णय करने में देरी के आधार पर फांसी की सजा पाये कैदियों की सजा को उम्रकैद में बदला जा सकता है. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि मानसिक बीमारी के आधार पर ऐसे मामलों में मौत की सजा को उम्रकैद में बदला जा सकता है. यह फैसला राजीव गांधी हत्याकांड में मौत की सजा पाए कैदियों, मृत चंदन तस्कर वीरप्पन के सहयोगियों समेत ऐसे कुछ अन्य मामले प्रभावित हुए हैं. दिल्ली स्थित आरटीआइ कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद ने सूचना के अधिकार के तहत गृह मंत्रालय से सुप्रीम कोर्ट के दया याचिका में देरी के आधार पर फांसी को उम्रकैद में बदलने के फैसले के आलोक में आगे उठाये गये कदम की जानकारी मांगी थी.
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दया याचिका के निपटारे की समयसीमा तय नहीं
आरटीआइ के तहत मांगी गयी जानकारी में सरकार का जवाबनयी दिल्ली. सरकार ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी व्यवस्था में दया याचिकाओं के निपटारे के लिए किसी समयसीमा का उल्लेख नहीं किया है और न ही संविधान में इसके लिए कोई समयसीमा तय है. सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत गृह मंत्रालय के […]
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