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…अब झारखंड-बिहार की बारी!

सहयोगी दलों के आगे नहीं झुकेगी भाजपाआगे की रणनीति तय करने में जुटी कांग्रेसअंजनी कुमार सिंह, नयी दिल्लीहरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों से भाजपा उत्साहित है. रविवार को दिन भर पार्टी मुख्यालय में जश्न मना. कार्यकर्ताओं ने ‘अब झारखंड-बिहार’ की बारी है, के नारे लगाये. केंद्रीय स्तर के जो नेता झारखंड में चुनाव से […]

सहयोगी दलों के आगे नहीं झुकेगी भाजपाआगे की रणनीति तय करने में जुटी कांग्रेसअंजनी कुमार सिंह, नयी दिल्लीहरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों से भाजपा उत्साहित है. रविवार को दिन भर पार्टी मुख्यालय में जश्न मना. कार्यकर्ताओं ने ‘अब झारखंड-बिहार’ की बारी है, के नारे लगाये. केंद्रीय स्तर के जो नेता झारखंड में चुनाव से पूर्व सहयोगी दल ढूंढ़ने की मुखालफत कर रहे थे, वही अब अपनी शर्तों पर समझौता की बात कर रहे हैं. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी अन्य राज्यों में भी यही फॉर्मूला अपनायेगी.विधानसभा चुनावों ने स्पष्ट कर दिया है कि जनता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में भरोसा है और वह भाजपा को राज्यों में भी मौका देने के लिए तैयार है. यही वजह है कि प्रदेशों में भाजपा से गंठबंधन करनेवाले दलों को फायदा हुआ है. शिवसेना से भी गंठबंधन इसलिए टूटा, क्योंकि भाजपा अपना नुकसान नहीं चाहती थी.रणनीति बनाने में जुटी रही कांग्रेसकांग्रेस मुख्यालय में दिन भर उदासी पसरी रही. चुनाव परिणाम में नेताओं या कार्यकर्ताओं के चेहरे पर निर्विकार का भाव दिखा. हां, कुछ कार्यकर्ताओं ने जरूर ‘प्रियंका लाओ, देश बचाओ’ के नारे लगाये. लेकिन, पार्टी मुख्यालय का जो माहौल था, उससे ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस ने पहले ही हार मान ली थी. हालांकि, संचार विभाग के प्रमुख अजय माकन ने पार्टी ने प्रवक्ताओं को बताया कि कैसे पार्टी का पक्ष मीडिया के समक्ष रखें. साथ ही हिदायत भी दी गयी कि राहुल गांधी को किसी भी परिस्थिति में हार के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराना है. इसलिए सभी प्रवक्ता दिन भर सत्ता विरोधी लहर और राज्यों के हालात को हार के लिए जिम्मेदार ठहराते रहे.

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