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‘टाउन ऑफ लव’ है मुश्किल में फंसी औरतों की दास्तां

एजेंसियां, नयी दिल्लीनॉर्वे की एक पत्रकार द्वारा लिखी गयी एक किताब में उन महिलाओं का दर्द बयां किया गया है, जो भारत में तस्करी का शिकार बनीं और देहव्यापार के लिए मजबूर की गयीं.एनी सीएच ओस्तबे द्वारा लिखी गयी पुस्तक ‘प्रेम नगर : टाउन ऑफ लव’ उस चलन पर गहरा कटाक्ष करता है, जो इनसानों […]

एजेंसियां, नयी दिल्लीनॉर्वे की एक पत्रकार द्वारा लिखी गयी एक किताब में उन महिलाओं का दर्द बयां किया गया है, जो भारत में तस्करी का शिकार बनीं और देहव्यापार के लिए मजबूर की गयीं.एनी सीएच ओस्तबे द्वारा लिखी गयी पुस्तक ‘प्रेम नगर : टाउन ऑफ लव’ उस चलन पर गहरा कटाक्ष करता है, जो इनसानों को एक चल-संपत्ति बनाकर रख देता है.यह है कहानीतमन्ना को नट समुदाय के लोगों के हाथों बेच दिया जाता है. इस समुदाय की महिलाएं आजीविका कमाने के लिए वेश्यावृत्ति करने के लिए विवश होती हैं. देहव्यापार में फंस चुकी तमन्ना किसी तरह वहां से निकलने में कामयाब हो जाती है लेकिन उसे अपने पीछे अपनी छोटी-सी बेटी रूपा को छोड़ना पड़ता है. तमन्ना रूपा को वेश्यावृत्ति का धंधा चलाने वाले सरगना जब्बार असलम के चंगुल से बचाने के लिए एक संगठन की मदद लेती है.समाज की सच्चाईलेखिका के अनुसार, कहानी को कई स्थानों पर और कई लोगांे के जरिये कहा गया है. कहीं यह वास्तविक है तो कहीं काल्पनिक भी है. लेखिका कहती हैं, लेकिन इस पुस्तक में जो कुछ भी महत्वपूर्ण है वह सच है. यह तथ्य है कि इनसानों को खरीदा और बेचा जाता है, छोटी लड़कियों का अपहरण कर लिया जाता है और कहीं दूर ले जाकर छिपाया जाता है. यह भी सच है कि बच्चों का उत्पीड़न होता है, उनका शोषण और बलात्कार किया जाता है.सच यह भी हैलेखिका कहती हैं, यह भी सच है कि माताएं अपनी नवजात लड़कियों के पालनों के पास बैठकर निराशा के आंसू बहाती हैं, क्योंकि वे जानती हैं कि उनकी बच्चियों के लिए एक घृणित कुचक्र इंतजार कर रहा है. वे जानती हैं इन बच्चियों के भाग्य में भी वही है, जो इनकी माताओं और नानियों के भाग्य में था. वे सोचती हैं कि हिंसा और क्रूरता के जरिये देहव्यापार का लाभ उठाने वाले अक्सर बच निकलते हैं. लेखिका यह भी कहती हैं कि सुपरनोवा द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक प्रेमनगर की गलियों में चलने वाली, दरवाजों और बालकनियों पर नुमाइश के लिए खड़ी की जाने वाली लड़कियों के लिए उम्मीद की एक किरण भी है.खुद के शरीर पर अधिकार का दावावे महिलाएं अपना दर्द बयां करती हैं, जो इससे निकलती नहीं हैं बल्कि प्रेम नगर के छोटे-छोटे कमरों में दाखिल होती हैं, खिड़कियों में पर्दे करती हैं. वे उसी हवा में सांस लेती हैं जिसमें रूपा और सलमा रहती हैं. तमन्ना और फौजिया वे महिलाएं हैं, जो एक बार फिर अपनी खुद की जिंदगी और अपने खुद के शरीर पर अधिकार का दावा करती हैं.महिलाओं का मंचओस्तबे कई पुस्तकें लिख चुकी हैं, जो बहुसांस्कृतिक और महिलाओं से जुड़े मुद्दे उठाती हैं. नॉर्वे में ‘प्रेम नगर : टाउन ऑफ लव’ का विमोचन फोकस (एफओकेयूएस) के सहयोग से किया गया. फोकस नॉर्वे का ऐसा रिसोर्स सेंटर है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के मुद्दे उठाता है.

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