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पतरातू में 1600 मेगावाट के नये पावर प्लांट पर वित्त की आपत्ति

कोल ब्लॉक के बिना पावर प्लांट के औचित्य पर सवाल उठाया1600 मेगावाट का दूसरा प्लांट है प्रस्तावित1320 मेगावाट के पावर प्लांट की निविदा 20 को खुलनी हैऊर्जा विभाग ने वित्त विभाग के पास पुनर्विचार के लिए भेजी फाइल सुनील चौधरी, रांची पतरातू में 1600 मेगावाट के नये पावर प्लांट के प्रस्ताव पर वित्त विभाग ने […]

कोल ब्लॉक के बिना पावर प्लांट के औचित्य पर सवाल उठाया1600 मेगावाट का दूसरा प्लांट है प्रस्तावित1320 मेगावाट के पावर प्लांट की निविदा 20 को खुलनी हैऊर्जा विभाग ने वित्त विभाग के पास पुनर्विचार के लिए भेजी फाइल सुनील चौधरी, रांची पतरातू में 1600 मेगावाट के नये पावर प्लांट के प्रस्ताव पर वित्त विभाग ने आपत्ति जतायी है. विभाग ने बिना कोल ब्लॉक के पावर प्लांट की दिशा में आगे बढ़ने को उचित नहीं बताया है. पिछले दिनों वित्त ऊर्जा विभाग द्वारा पतरातू में 1600 मेगावाट क्षमता के पावर प्लांट के निर्माण के बाबत वित्त विभाग से सहमति मांगी गयी थी. इसके बाद ही झारखंड ऊर्जा विकास निगम निविदा की प्रक्रिया में आगे बढ़ पाता. वित्त विभाग की प्रधान सचिव राजबाला वर्मा ने कोल ब्लॉक के बाबत विस्तृत जानकारी मांगी थी. ऊर्जा विभाग ने लिखा गया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जेएसइबी को आवंटित बनहरदी, उरमा पहाड़ी और मौर्या कोल ब्लॉक रद्द कर दिया गया है. इसके बाद वित्त विभाग ने सवाल उठाया कि बिना कोल ब्लॉक के पावर प्लांट कैसे लग सकता है. कोयला की आपूर्ति कहां से होगी. यदि निविदा प्रक्रिया चल भी रही है तो इसे तत्काल स्थगित किया जाये. मालूम हो कि पतरातू में ही 1320 मेगावाट के पावर प्लांट का निर्माण टैरिफ बेस्ड बिडिंग के आधार पर करने के लिए निविदा निकाली जा चुकी है. हालांकि इसके लिए भी बनहरदी कोल ब्लॉक को ही लिंक किया गया है. 20 अक्तूबर को निविदा खुलने की तिथि है. बिजली कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि वित्त की आपत्ति से इस निविदा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. समय पर निविदा खोली जायेगी. ऊर्जा विभाग ने दिया जवाबवित्त की आपत्ति के बाद ऊर्जा विभाग ने झारखंड ऊर्जा विकास निगम से जवाब मांगा है. निगम के सीएमडी ने लिखा है कि कोल ब्लॉक भले ही रद्द कर दिया गया है, पर केंद्र को दोबारा आवंटित करने के लिए पत्र लिखा गया है. उम्मीद जतायी गयी है कि कोल ब्लॉक का आवंटन दोबारा हो जायेगा. फिलहाल कोयला की आपूर्ति सीसीएल से फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट(एफएसए) के तहत की जायेगी. जैसा कि पीटीपीएस के लिए है. इसके बाद पावर प्लांट के लिए कोयले की कमी नहीं होगी. बताया गया कि सीएमडी के जवाब पर ही ऊर्जा विभाग ने अपनी सहमति देते हुए वित्त विभाग के पास फाइल पुनर्विचार के लिए भेजी है.

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