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दिवाली बाद हो सकता है मोदी कैबिनेट का विस्तार

एजेंसियां, नयी दिल्लीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले कुछ हफ्तों में अपनी मंत्रिपरिषद का पहला विस्तार कर सकते हैं. साथ ही नौकरशाही के स्तर पर भी और भी बड़े बदलाव किये जा सकते हैं. अंगरेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि दिवाली के बाद और अगले महीने के अंत में […]

एजेंसियां, नयी दिल्लीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले कुछ हफ्तों में अपनी मंत्रिपरिषद का पहला विस्तार कर सकते हैं. साथ ही नौकरशाही के स्तर पर भी और भी बड़े बदलाव किये जा सकते हैं. अंगरेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि दिवाली के बाद और अगले महीने के अंत में शुरू होनेवाले संसद के शीतकालीन सत्र से पहले मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाना लगभग तय है. संसद के सत्र की समय सारिणी को अंतिम रूप सोमवार को होनेवाली संसदीय कायार्ें की कैबिनेट कमिटी की बैठक में दिया जायेगा. सूत्रों के अनुसार, सत्र की शुरु आत नवंबर के तीसरे हफ्ते से होने की उम्मीद है.विस्तार जरूरी हैकैबिनेट में फेरबदल और विस्तार प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों ही कारणों से आवश्यक बन गया है. कई विभाग, जिन पर स्वतंत्र और पूर्णकालिक मंत्री की जरूरत है, को अब तक अतिरिक्त प्रभार के जरिये चलाया जा रहा है. पिछले पांच महीने से कुछ मंत्रालयों के लिए अपनायी गयी कामचलाऊ व्यवस्था संतोषजनक रही है, लेकिन अब सरकार को लगता है कि और तेजी से आगे बढ़ने और अपने एजेंडा को तेजी से लागू करने के लिए महत्वपूर्ण मंत्रालयों को स्वतंत्र प्रभार के तौर पर संभाले जाने की जरूरत है.इन पर है काम का बोझअरु ण जेटली वित्त मंत्रालय के अतिरिक्त रक्षा मंत्रालय का भी कामकाज देख रहे हैं, जबकि ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी गोपीनाथ मुंडे की कार दुर्घटना में मौत के बाद से ही ग्रामीण विकास मंत्रालय का जिम्मा भी संभाल रहे हैं. रवि शंकर प्रसाद संचार और कानून दोनों मंत्रालयों को देख रहे हैं, जबकि पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के पास सूचना और प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार है.नौकरशाही भी होगी चुस्तसूत्रों के मुताबिक मंत्रालय के विस्तार के साथ ही सरकार महत्वपूर्ण अधिकारियों की नियुक्ति को भी अंतिम रूप देना चाहती है. इसकी शुरु आत गुरु वार को राजीव महर्षि को आर्थिक मामलों का सचिव और अरविंद सुब्रमण्यम को मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्ति से की गयी है. नये कैबिनेट सचिव की नियुक्ति आने वाले कुछ हफ्तों में हो सकती है, लेकिन उससे पहले सरकार द्वारा सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति को एक हफ्ते में अंतिम रूप दिये जाने की संभावना है.सरकार की मजबूरी भीमंत्रिमंडल विस्तार के पीछे सरकार की राजनीतिक मजबूरी भी है. भाजपा नेतृत्व को लगता है कि राज्यों के चुनाव के अगले चरण में जाने से पहले महत्वपूर्ण समुदायों को टीम मोदी में प्रतिनिधित्व दिया जाना जरूरी है. उदाहरण के तौर पर पार्टी भूमिहारों को कैबिनेट में जगह देना चाहती है, जो बिहार में पार्टी के प्रमुख समर्थक हैं. इसी तरह पार्टी हरियाणा में सही सामाजिक संतुलन बनाने के लिए जाटों को भी मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहती है. झारखंड में भी चुनाव होनेवाले हैं, लेकिन सरकार में सिर्फ एक राज्य मंत्री है. हरियाणा में वह पहली बार सरकार बनाने का मौका मिलने पर किसी दूसरे समुदाय के व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद दे सकती है.

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