आदिवासियों के जमीन हस्तांतरण पर रोक लगाने का मामलाएक बार फिर बनी उप समितिवरीय संवाददाता, रांचीझारखंड में आदिवासियों की जमीन के अवैध हस्तांतरण पर रोक लगाने के मामले में जनजातीय सलाहकार पर्षद की ओर से गठित पूर्व की उप समितियों ने सरकार को अंतिम रिपोर्ट नहीं सौंपी है. उप समिति के पूर्व अध्यक्ष साइमन मरांडी की अध्यक्षता में गठित उप समिति ने इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं लिया था. दो वर्ष पहले आदिवासी भूमि के हस्तांतरण में थानाक्षेत्र का मामला सामने आया था. उप समिति के पूर्व अध्यक्ष श्री मरांडी ने कहा था कि आदिवासियों की जमीन की खरीद-बिक्री को एक ही थाना क्षेत्र तक सीमित नहीं रखा जा सकता है. पर्षद ने मामले को देखते हुए उप समिति का पुनर्गठन करने का सरकार को निर्देश दिया. दो वर्ष बाद गठित जनजातीय परामर्शदातृ परिषद की बैठक में एक बार फिर खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री की अध्यक्षता में उप समिति गठित की गयी है. समिति में विधायक बंधु तिर्की, दीपक बिरुआ, चमरा लिंडा, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव और कल्याण सचिव को सदस्य बनाया गया है.समिति को यह जवाबदेही दी गयी है कि छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम में आवश्यक संशोधन करने, आदिवासी भूमि को बंधक रख कर बैंक से शिक्षा, आवास और स्वरोजगार के संबंध में कर्ज उपलब्ध कराने में हो रही दिक्कत दूर की जाये. इतना ही नहीं सीएनटी एक्ट बचाओ मोरचा की ओर से अधिनियम की धारा 71 (ए) में बदलाव करने की मांग पर विचार कर रिपोर्ट सौंपने की मांग पर जांच करने की जवाबदेही फिर से उप समिति को दी गयी है. टीएसी की पिछली बैठक में गैर कृषि कार्य के लिए भूमि पर गैर कृषि लगान लगाने को लेकर छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 और संताल परगना काश्तकारी अधिनियन 1949 में संशोधन का प्रस्ताव भी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से वर्ष 2011 में लाया गया था. लेकिन प्रस्तावित संशोधनों पर पर्षद के सदस्यों ने अध्य्यन करने की मांग को लेकर इसे स्थगित रखने की सिफारिश की थी.
पूर्व की समितियों ने नहीं सौंपी रिपोर्ट
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