संवाददातारांची : प्रभात खबर में प्रकाशित ‘सरकार से ताकतवर सिविल सर्जन’ समाचार पर रामगढ़ के सिविल सर्जन डॉ पीके पांडे ने अपना पक्ष पेश किया है. उन्होंने कहा है कि सरकार द्वारा ‘नो वर्क नो पे’ का दंड देने से संबंधित आदेश अक्तूबर 2013 में जारी किया गया. उन्होंने फरवरी 2013 का वेतन इस आदेश से पहले ही निकाला था, इसलिए 13 से 20 फरवरी तक के वेतन की भी निकासी की थी. अगर उन्हें सरकार का आदेश पहले मिल गया होता, तो वह निकासी नहीं करते. इसलिए ने नो वर्क नो पे की अवधि के वेतन निकासी में उनकी कोई आपराधिक मंशा नहीं थी. उन्होंने इस मामले में सरकार को भी पत्र लिखा है. साथ ही सरकार से यह भी जानना चाहा है कि अब वे इस राशि का क्या करें. डॉ पांडेय ने सरकार को लिखे पत्र में 13 से 20 फरवरी की अवधि में ड्यूटी पर उपस्थित रहने की बात कही है. उन्होंने लिखा है कि 13 फरवरी को वह सरकार के आदेश से ही बोकारो में हुई स्वास्थ्य विभाग की बैठक में शामिल हुए थे. इसके बाद उन्होंने सिमरिया में ड्यूटी की. पीएचसी के वर्तमान प्रभारी ने इससे संबंधित प्रमाण पत्र भी दिया है. ममता वाहन के मामले में उनका कहना है कि उन्होंने ही इसकी जांच के लिए टीम गठित की थी. ममता वाहन के लिए किये गये एकरारनामे में पायी गयी गलतियां उनकी अवधि की नहीं है. एकरारनामा उनके पहले के अधिकारी ने की थी. उन्होंने जनहित में ममता वाहन मालिकों का भुगतान किया है.बैंकों के माध्यम(आरटीजीएस) से किये भुगतान में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं है.
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नो वर्क नो पे की जानकारी नहीं थी : डॉ पांडेय
संवाददातारांची : प्रभात खबर में प्रकाशित ‘सरकार से ताकतवर सिविल सर्जन’ समाचार पर रामगढ़ के सिविल सर्जन डॉ पीके पांडे ने अपना पक्ष पेश किया है. उन्होंने कहा है कि सरकार द्वारा ‘नो वर्क नो पे’ का दंड देने से संबंधित आदेश अक्तूबर 2013 में जारी किया गया. उन्होंने फरवरी 2013 का वेतन इस आदेश […]
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