मनोज लाल
रांची : राज्य ग्रामीण विकास संस्थान ने हब्सी कैंप (नॉर्थ कैंपस) की जमीन अधिग्रहण के लिए फाइल बढ़ायी थी. इसी साल 22 जुलाई को ही सर्ड के तत्कालीन निदेशक ने ग्रामीण विकास सचिव को पत्र लिख कर उक्त जमीन के अधिग्रहण के लिए सहमति मांगी थी. इसके लिए आवश्यक कार्रवाई का आग्रह किया था.
निदेशक ने यह भी लिखा था : वर्तमान में इस जमीन की दर बढ़ी हुई है. ऐसे में नये सिरे से प्रशासनिक स्वीकृति की जरूरत है. सचिव से आग्रह किया गया कि मौजा हेहल (थाना सं-203) के खाता संख्या 176 के अंतर्गत प्लॉट संख्या 42, 43, 44 व 45 के 18.83 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के लिए सहमति दी जाये.
इससे पहले भी सर्ड की ओर से इस जमीन को अधिग्रहण करने की कार्रवाई की गयी. मौजूदा विभागीय सचिव अरुण भी इसे खाली करने के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इसमें क्वार्टर आदि हैं. ऐसे में इसकी जरूरत है. खाली करने का सवाल ही नहीं उठता. इस बीच निदेशक बदले और नये निदेशक हेमंत टोप्पो ने आते ही इसे अचानक खाली कर दिया.
भू-माफिया कर रहे कब्जे का प्रयास
सर्ड निदेशक के पत्र के मुताबिक आज की तिथि में इस भूमि की कीमत करोड़ों में है. ऐसे में भू-माफियाओं की नजर इस भूमि पर है और अवैध निर्माण के आधार पर कब्जा के लिए वे प्रयासरत हैं. सर्ड के अधीन भूमि का विधिवत हस्तांतरण सर्ड झारखंड के नाम पर नहीं होने के कारण एक्स लैंड लॉर्ड के तथाकथित उत्तराधिकारियों द्वारा इसे बेचा जा रहा है एवं कई भू-माफियाओं द्वारा कई दस्तावेज निबंधित भी करा लिये गये हैं. इससे संबंधित कई विवाद न्यायालयों में लंबित हैं.
निदेशक ने सचिव को लिखा कि सर्ड के कब्जे की 18.83 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करना ही एकमात्र सही विकल्प रह गया है. पूर्व में विभाग अधिग्रहण के लिए तीन बार स्वीकृति दे चुका है तथा अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी है, लेकिन शहरी भू-हदबंदी की प्रक्रिया शुरू होने के कारण इस पर कार्रवाई नहीं की जा सकी. भूमि की कीमत बढ़ गयी है. ऐसे में जिला भू-अजर्न पदाधिकारी द्वारा जमीन के मूल्य निर्धारण के बाद ही राशि की मांग करना संभव हो सकेगा. फिर भी राज्य सरकार की स्वीकृति की प्रत्याशा में भू-अजर्न पदाधिकारी से जमीन की मूल्य के संबंध में प्रतिवेदन की मांग की जा रही है.
केजरीवाल को जमीन दिलाने की तैयारी: रूपा
स्वर्गीय दिलीप नाथ शाहदेव की पत्नी रूपा शाहदेव ने राज्य के राजनेताओं व उच्चधिकारियों को पत्र लिख कर मामले से अवगत कराया है. उन्होंने सर्ड निदेशक हेमंत टोप्पो से मिल कर दफ्तर खाली करने के प्रयास का विरोध किया था. उन्होंने निदेशक को पत्र देकर कहा था उनकी इस पुस्तैनी जमीन पर कुछ भू-माफिया कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं. अगर सर्ड इसे खाली करना चाह रहा है, तो उन्हें 1990 से लेकर आज तक का बकाया किराया ब्याज सहित दे. उन्होंने कहा है कि अशोक केजरीवाल सहित अन्य को जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए ही सर्ड ने यहां से दफ्तर दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया है.