रांची : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विवि व कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों के लिए दिये जा रहे रिसर्च अवार्ड (शोध पुरस्कार) के लिए गाइड लाइन (दिशा-निर्देश) जारी किया है. यूजीसी के मुताबिक इस पुरस्कार के लिए वैसे शिक्षकों को शामिल किया गया है, जिन्होंने अपने अध्ययन क्षेत्र में शोध डिग्री प्राप्त कर ली है और जिन्होंने उस क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया है.
यह शोध पुरस्कार केवल उन्हीं प्राध्यापकों, वरिष्ठ प्राध्यापकों व प्रवर कोटि प्राध्यापकों के लिए है या फिर उन रीडरों, प्रोफेसरों के लिए है जो किसी भी मान्य संस्थान में स्थायी पदों पर निरंतर सेवारत हैं. पुरस्कार के लिए आवेदन करते समय उनकी आयु 45 वर्ष से कम होनी चाहिए. महिलाओं, एसटी/एससी/पिछड़ा वर्ग/ शारीरिक अपंग, अल्पसंख्यकों के लिए आयु सीमा 50 वर्ष निर्धारित की गयी है.
शिक्षकों को यह पुरस्कार केवल एक ही बार मिलेगा. यूजीसी के मुताबिक पुरस्कार उन्हें ही मिलेगा, जो सीमित/न्यूनतम रूप से कक्षाओं में अध्यापन कार्य कर सकते हैं. अपने अवार्ड की अवधि के दौरान अन्य किसी भी निर्धारित कार्य को चाहे वह वैतनिक हो/अवैतनिक हो, को स्वीकार करने के लिए उन पर प्रतिबंध रहेगा. पुरस्कार का चयन यूजीसी के विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर आधारित होगा.
* क्या सुविधाएं दी जायेंगी
पुरस्कार की पूरी अवधि के दौरान पुस्तकों व पत्रिकाओं, रसायनों एवं उपस्करों पर होनेवाले खर्च के लिए जो शोध अनुदान प्रदान किया जायेगा, उसमें मानविकी व सामाजिक विज्ञान के लिए दो लाख रुपये, विज्ञान/प्राकृतिक विज्ञान/इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी के लिए तीन लाख रुपये मिलेंगे. शोध अवधि के दौरान अवकाश पर रहने पर भी वे अपने सामान्य वेतन वृद्धि को प्राप्त करेंगे और अपने प्रधान संस्थान/विवि में अपनी वरीयता को सुरक्षित रख सकेंगे.
विवि/संस्थान में जो उनका अधिकार है, उसके अनुसार वह समस्त छुट्टियों व अन्य सभी सुविधाओं आदि के हकदार होंगे. इसके तहत स्टाफ क्वार्टर, चिकित्सा सुविधा, चिकित्सा सहायता आदि शामिल है. अनुसंधान के लिए कहीं यात्रा की जरुरत हो तो इसके लिए अतिरिक्त धन उपलब्ध नहीं कराया जायेगा. यदि किसी परियोजना सहायक को नियुक्त किया जाता है, तो इसका खर्च पांच हजार रुपये प्रतिमाह पुरस्कार कालावधि के लिए होगा.
* इन नियमों का पालन करना होगा
परियोजना आरंभ होने के 12 से 15 माह के भीतर पुरस्कार प्राप्तकर्ता अपने अनुसंधान कार्य की मध्यावधि रिपोर्ट, विभागाध्यक्ष तथा विवि के कुलसचिव/प्राचार्य के माध्यम से प्रस्तुत करेंगे. यदि अनुसंधान कार्य की स्थिति असंतोषजनक पायी जाती है, तो उस पुरस्कार को आगे जारी नहीं रखा जायेगा.
प्रोजेक्ट की अंतिम रिपोर्ट की एक प्रति पुरस्कार प्राप्तकर्ता द्वारा अपने विभागाध्यक्ष के माध्यम से यूजीसी को प्रस्तुत करनी होगी. आवेदन में अनुसंधान के लिए चुने गये प्रस्तावित स्थान को बदलने की अनुमति नहीं होगी. तीन वर्षों की अवधि के दौरान छह माह की छुट्टी लेने का अधिकार होगा. छुट्टी की अवधि की गणना पुरस्कार की कुल अवधि में की जायेगी.