रांची: जिला सहकारिता पदाधिकारी, चतरा पर राइस मिल से सांठगांठ कर सरकारी धन फंसाने का आरोप है. हजारीबाग व रामगढ़ जिले के भी अतिरिक्त प्रभार में कार्यरत जिला सहकारिता पदाधिकारी, चतरा रविशंकर पांडेय पर एक ही मिल को करीब 11 करोड़ का धान देने का आरोप है. यह हजारीबाग की लक्की राइस मिल है.
हालत यह है कि खरीफ-2011-12 का लगभग 3.50 करोड़ रुपये इस मिल पर बकाया है. वहीं इसके बाद खरीफ-2012-13 में भी श्री पांडेय ने इस मिल को फिर से चतरा व हजारीबाग जिले का 7.45 करोड़ का धान दे दिया. इधर करीब डेढ़ माह पहले उपायुक्त चतरा ने श्री पांडेय को निलंबित कर उस पर विभागीय कार्रवाई के लिए चिट्ठी सहकारिता विभाग को दी, पर यह चिट्ठी दबा दी गयी है.
इससे पहले भी उपायुक्त चतरा ने 29 जुलाई 2013 को श्री पांडेय को पत्र लिख कर कहा था कि पहले का करोड़ों बकाया रहते फिर से लक्की राइस मिल को धान देना सरकारी प्रावधानों का उल्लंघन है तथा यह आपकी स्वेच्छाचारिता का परिचायक है. श्री पांडेय से 48 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा गया था. वहीं मिल मालिक से वसूली का आदेश दिया गया था, जिसे अमल नहीं किया गया. यही नहीं, बाद में मिल में आगजनी की घटना हुई, जिसे प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट में जान बूझ कर घटी घटना बताया. आज की तारीख में लक्की राइस मिल बंद है व सरकार का करीब 11 करोड़ रुपये फंसा है.
153 करोड़ का बकाया
राज्य के विभिन्न चावल मिल मालिकों पर सरकार का 153 करोड़ रुपये (लक्की राइस मिल के पहले के 3.50 करोड़ के अतिरिक्त) बकाया है. यह खरीफ-13 में मिलों को दिये गये धान की कीमत है, जिसके बदले चावल या पैसा कुछ नहीं मिल रहा. हजारीबाग के संकट मोचन राइस मिल का 13 करोड़ बकाया है. वहीं हजारीबाग के ही आदित्य व गणपति राइस मिल पर क्रमश: 10 व आठ करोड़ का बकाया है.