रांची : लाल-पीली बत्तियों पर रोक लगाने में राज्य सरकार फैसला नहीं ले सकी है. सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2014 तक लाल-पीली बत्ती का अधिकार परिभाषित कर योग्य व्यक्तियों की सूची जारी करने का आदेश दिया था. झारखंड में निर्धारित समय के छह महीने बीत जाने के बाद भी लाल-पीली बत्तियों का अधिकार परिभाषित नहीं किया जा सका है.
हालांकि इस दौरान तीन बार परिवहन सचिवों का तबादला जरूर हो गया. परिवहन विभाग द्वारा पहले मध्यप्रदेश में बनाये गये नियमों के आधार पर झारखंड में भी लाल-पीली बत्ती का इस्तेमाल करनेवाले पदाधिकारियों की अर्हता निर्धारित की गयी थी, परंतु उसमें व्याप्त त्रुटियों के कारण उसे लागू नहीं किया जा सका.
विधि विभाग को भेजा गया है प्रस्ताव : परिवहन विभाग ने लाल-पीली बत्तियों के संबंध में दोबारा प्रस्ताव तैयार किया है. मध्यप्रदेश, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में लागू किये गये नियमों के अध्ययन को इसमें शामिल किया गया है. यह प्रस्ताव विभाग ने विधि विभाग की मंजूरी के लिए भेजा है. फिलहाल, विधि विभाग प्रस्ताव का अध्ययन कर रहा है. विधि विभाग की सहमति मिलने के बाद प्रस्ताव कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद ही राज्य में लाल-पीली बत्तियों के संबंध में कोई नियम लागू किया जा सकेगा.
बत्तियों के इस्तेमाल में कमी नहीं
राज्य में लाल-पीली बत्तियों का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है. अफसरों के ड्राइवर और परिजन भी बत्ती लगी गाड़ियों में घूम रहे हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य के कई वरिष्ठ अफसरों ने अपनी गाड़ियों से बत्तियां उतार दी थी. मुख्य सचिव सुधीर प्रसाद, भवन निर्माण सचिव सुखदेव सिंह, पंचायती राज सचिव के विद्यासागर, निबंधन सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी, परिवहन सचिव केके सोन, शिक्षा सचिव आराधना पटनायक समेत कई अफसर लाल बत्ती का इस्तेमाल नहीं करते. बावजूद इसके बड़ी संख्या में अफसर बत्तियां लगी गाड़ियों में घूम रहे हैं.