रांची: झारखंड के आंदोलनकारियों को चिह्न्ति करने का काम ठप हो गया है. यह स्थिति आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश विक्रमादित्य प्रसाद के अध्यक्ष पद से त्याग पत्र देने की वजह से पैदा हुई है. हालांकि सरकार ने अब तक उनका त्याग पत्र स्वीकार नहीं किया है. इस बीच झारखंड आंदोलनकारी मोरचा ने अध्यक्ष से अपना इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया है.
आयोग के पास राज्य के विभिन्न हिस्सों से मिले 30 हजार आवेदन अब भी पड़े हुए हैं. इन आवेदनों की छंटनी और संबंधित दस्तावेज की जांच के बाद आंदोलनकारियों को चिह्न्ति करना है. अध्यक्ष के त्याग पत्र देने से यह काम प्रभावित हो गया है. आंदोलनकारियों को चिह्न्ति करने के लिए गठित इस तीन सदस्यीय आयोग के दो सदस्य अब भी कार्यरत हैं. आयोग के सदस्य लक्ष्मण टुडू और पूर्व मंत्री सुधीर महतो अब तक सिर्फ आयोग की बैठक में ही शामिल होते रहे हैं.
आवेदनों की छंटनी और दस्तावेज की जांच पड़ताल में इन दोनों सदस्यों ने कभी सक्रिय भूमिका नहीं निभायी. दोनों सदस्य यदि आवेदनों की छंटनी और जांच पड़ताल करते भी हैं, तो अध्यक्ष के नहीं रहने की वजह से आंदोलनकारियों के नामों के मुद्दे पर कोई फैसला नहीं किया जा सकेगा. आंदोलनकारियों को चिह्न्ति करने के लिए जून 2012 में गठित इस आयोग का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरकार ने आयोग का कार्यकाल और तीन माह बढ़ा दिया था. यह अवधि भी अगस्त 2013 में समाप्त हो जायेगी.