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शारदीय नवरात्र : दूसरा दिन

शारदीय नवरात्र : दूसरा दिनब्रह्मचारिणी दुर्गा का ध्यानदधाना करपद्माब्याम अक्षमाला कमंडल।देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।जो दोनों कर कमलों में अक्षमाला और कमंडल धारण करती हैं, वे सर्वश्रेष्ठ ब्रह्मचारिणी दुर्गा देवी मुझ पर प्रसन्न हों.नवरात्र व्रत एवं आद्याशक्ति श्रीदुर्गा उपासना – दोपहले वर्णित श्लोक में शरदकाल में शारदीय नवरात्र एवं वर्षारंभ चैत्र में वासंतिक नवरात्र – इन […]

शारदीय नवरात्र : दूसरा दिनब्रह्मचारिणी दुर्गा का ध्यानदधाना करपद्माब्याम अक्षमाला कमंडल।देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।जो दोनों कर कमलों में अक्षमाला और कमंडल धारण करती हैं, वे सर्वश्रेष्ठ ब्रह्मचारिणी दुर्गा देवी मुझ पर प्रसन्न हों.नवरात्र व्रत एवं आद्याशक्ति श्रीदुर्गा उपासना – दोपहले वर्णित श्लोक में शरदकाल में शारदीय नवरात्र एवं वर्षारंभ चैत्र में वासंतिक नवरात्र – इन दोनों में श्रीदुर्गा उपासना एवं देवी माहात्म्य के पाठ के विषय में जो दो बातें कही गयी हैं, वे विचारणीय हैं. ‘देवी माहात्म्य’ को ‘श्रीदुर्गा सप्तशती’ के रूप में सभी जानते हैं, उसमें सुमेधाऋषि ने राजा सुरथ और समाधि वैश्य को 700 श्लोकों, मंत्रों के उस ग्रंथ में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के तीन चरित्र बताये हैं. इसी ग्रंथ में देवी के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है, ‘देवी ने इस विश्व को उत्पन्न किया है. वही प्रसन्न होती हैं, तो मनुष्य को मोक्ष प्रदान करती हैं. मोक्ष की सर्वोत्तम हेतु-स्वरूपा ब्रह्मज्ञानस्वरूपा, विद्या एवं संसार-बंधन की कारणरूपा वे ही हैं. वे ही ईश्वर की भी अधीश्वरी हैं.’ इसमें शक्ति के विषय में लिखा है, ‘हे देवी! जगत में सर्वत्र जड़-चेतन जो कुछ पदार्थ है, उन सबकी मूल शक्ति या प्राण आप ही हैं.’इस संसार का कारण चिन्मयी, प्राण स्वरूपिणी, संसारव्यापिनी एकमात्र शक्ति ही है. ‘देवी माहात्म्य’, ‘श्री दुर्गा सप्तशती’ मार्कंडेय पुराण का ही एक प्रमुख अंश है. इसमें भगवती दुर्गा की कथा विस्तृत रूप में वर्णन है. इसमें देवी ने कहा है कि जब-जब संसार में दानवी बाधा उपस्थित होगी, अवतार लेकर मैं शत्रुओं का संहार करूंगी. दुष्ट दलन तथा धर्मस्थापन के लिए देवी अवतीर्ण होती है.”इत्थं यदा यदा बाधा दानवोत्था भविष्यति।तदा तदावतीर्याहं करिष्याम्यरिसंक्षयम्।।’प्रस्तुति: डॉ एनके बेरा(क्रमश:)

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