रांची: राज्य में अक्तूबर माह से खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने की उम्मीद कम है. अतिरिक्त अनाज के लिए जरूरी गोदाम का निर्माण अभी बाकी है. वहीं लाभुकों के चयन के लिए इसके मापदंड को भी कैबिनेट से स्वीकृति मिलनी है.
लाभुकों को राशन कार्ड भी अभी दिया जाना है. इससे पहले केंद्र सरकार ने राज्यों को यह कानून लागू करने के लिए तीन माह का समय विस्तार दिया था. इसकी मियाद भी सितंबर को खत्म हो रही है. खाद्य आपूर्ति विभाग के विशेष सचिव रवि रंजन ने कहा कि यह उम्मीद है कि केंद्र कानून लागू करने की समय सीमा फिर बढ़ायेगा.
गौरतलब है कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सरकार योग्य परिवार के कुल पांच सदस्यों को अनुदानित दर पर अनाज उपलब्ध करायेगी. लाभुकों को तीन रुपये किलो चावल, दो रुपये किलो गेहूं व एक रुपये किलो मोटा अनाज दिया जाना है. ज्यादा अनाज रखने के लिए गोदाम की संख्या व क्षमता भी बढ़ाने की जरूरत है. झारखंड को अभी हर माह 84 हजार टन (अतिरिक्त बीपीएल सहित) अनाज की जरूरत होती है. खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद हर माह करीब 1.4 लाख टन अनाज की जरूरत पड़ेगी. जानकारों के अनुसार इसके लिए एफसीआइ व एसएफसी दोनों को एडवांस स्टॉक सहित कम से कम तीन-तीन लाख टन क्षमता के गोदाम चाहिए. इधर, राज्य के एफसीआइ गोदामों की वर्तमान क्षमता करीब 1.30 लाख टन ही है. वहीं, एफसीआइ से खाद्यान्न लेकर वितरित करने के लिए एसएफसी के पास अभी 53 हजार 600 टन क्षमता का गोदाम है. नये गोदाम बन रहे हैं, पर कई जगह जमीन की समस्या है.
अब तक कंप्यूटराइजेशन का भी काम है बाकी
टारगेटेड पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम (लक्षित जन वितरण प्रणाली या टीपीडीएस) के कंप्यूटरीकरण का काम अपनी समय सीमा के अंदर पूरा नहीं हो सका है. पारदर्शी तरीके से अनाज वितरण के लिए सिस्टम का कंप्यूटराइजेशन किया जाना है. विभिन्न चरणों में इसका कार्य दिसंबर-12 से अप्रैल-14 तक पूरा होना था, जो नहीं हो सका है.