।। मनोज सिंह ।।
रांची : कोल माइन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआइ) को कोल इंडिया से अलग करने की तैयारी चल रही है. कोयला मंत्रालय और कोल इंडिया के अधिकारियों को इसके संकेत दिये गये हैं. सुरेश प्रभु की अध्यक्षतावाली कमेटी ने एक बैठक में उपस्थित कोयला मंत्रालय के अधिकारियों को बताया है कि सीएमपीडीआइ को कोल इंडिया से अलग कर देने से कई फायदे होंगे. आठ सितंबर को दिल्ली में इस कमेटी की बैठक हुई थी.
इसमें कोल मंत्रालय के अधिकारियों ने हिस्सा लिया था. 17 सितंबर को इसी मुद्दे पर फिर एक उच्च स्तरीय बैठक होनेवाली है. भारत सरकार ने शिव सेना नेता सह पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में ऊर्जा पर एक सलाहकार समिति का गठन किया है. इसमें सीवीसी प्रत्युष सिन्हा, पूर्व गृह सचिव अनिल बजाज, कोल इंडिया के पूर्व चेयरमैन पार्थो भट्टाचार्य तथा पूर्व ऊर्जा सचिव आरवी शाही हैं. कमेटी को देश को ऊर्जा, कोयला, गैर पारंपरिक ऊर्जा के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के लिए रिपोर्ट देनी है.
* क्या है कमेटी का तर्क
कमेटी का तर्क है कि सीएमपीडीआइ को कोल इंडिया से अलग कर देने से कोयला के क्षेत्र में कंपनी का बाजार खुल जायेगा. कोल इंडिया के साथ-साथ निजी कंपनियों में भी सलाहकार की भूमिका में सीएमपीडीआइ काम कर सकेगा. सीएमपीडीआइ के पास डाटा की कमी नहीं है. इसका बेहतर इस्तेमाल किया जा सकेगा.
* डरे हुए हैं कर्मी
कोल इंडिया से कंपनी को अलग करने की चर्चा को लेकर सीएमपीडीआइ के कर्मी डरे हुए हैं. अधिकारी और कर्मचारियों में इसको लेकर चिंता है. कर्मचारियों का मानना है कि कोल इंडिया से जुड़े कुछ अधिकारी और कर्मचारी ही सीपीएमपीडीआइ को खत्म करना चाहते हैं. कोल इंडिया से रिटायर होनेवाले कई वरीय अधिकारी आजकल निजी कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि सीएमपीडीआइ को समाप्त कर कोल इंडिया में अपनी सलाहकार कंपनियों को काम दिलाया जाये.
* तकनीकी सलाह देता है
सीएमपीडीआइ 1975 से कोल इंडिया को तकनीकी सलाह दे रहा है. अभी कोल इंडिया खनन, ड्रिलिंग, पर्यावरण, मेनटेनेंस आदि काम में सलाह दे रही है. अभी कोल इंडिया में इस कंपनी का इस क्षेत्र में अधिपत्य है.
* सीएमपीडीआइ को अलग करना साजिश
सुरेश प्रभु की अध्यक्षतावाली कमेटी की रिपोर्ट की चर्चा के बीच अधिकारी और कर्मचारी एसोसिएशन के सदस्यों ने विरोध शुरू कर दिया है. कमेटी पर सीएमपीडीआइ को कोल इंडिया से अलग करने की अनुशंसा करने का आरोप लगाया जा रहा है. सोमवार को दोपहर एक बजे कंपनी के मुख्य द्वार के समक्ष गेट मीटिंग का आयोजन हुआ. इसमें अधिकारी और कर्मचारियों ने कहा कि यह कर्मियों के हित का मुद्दा नहीं है. पूर्व के कुछ अधिकारियों की मिली भगत से इस काम को अंजाम दिया जा रहा है.
इसी कंपनी से रिटायर होनेवाले कुछ कर्मचारी चाहते हैं कि कोल इंडिया में उनको काम मिले. सीएमपीडीआइ अभी इस काम में रोड़ा है. इसे दूर करना जरूरी है. अधिकारी और कर्मचारियों ने तय किया कि इसे जन आंदोलन बनाया जायेगा. इस मौके पर सर्वेश प्रसाद, सनत मुखर्जी, आरपी सिंह, अशोक यादव, रवींद्र नाथ तथा सीएमओएआइ के एसके जायसवाल ने भी विचार रखे.