रांची: बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अनुसार राज्य में चार लाख से अधिक बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हैं. ये वे बच्चे हैं, जो बाल श्रम से जुड़े हैं. सेव द चिल्ड्रेन के स्टेट प्रोग्राम मैनेजर महादेव हांसदा के अनुसार झारखंड में पांच से 14 वर्ष की आयु के बाल श्रमिकों की संख्या लगभग तीन लाख है. यहां से बड़ी संख्या में बाल श्रमिक दूसरे राज्यों में जाते हैं.
खूंटी, सिमडेगा, गुमला, पाकुड़ सहित अन्य जिलों से बड़ी संख्या में आदिवासी बालिकाएं दिल्ली में दलालों के मार्फत भेजी जाती हैं. ज्यादातर लड़कियां वहां प्लेसमेंट एजेंसियों के चंगुल में फंस जाती है, जहां उनका शारीरिक व मानसिक शोषण होता है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल के ईंट भट्ठों में भी झारखंड के बाल श्रमिक हैं.
इनमें कुछ अपने माता-पिता के साथ ही भट्ठों में काम करने जाते हैं और फंस जाते हैं. रांची व अन्य सभी जिलों में होटलों, ढाबों व अन्य स्थानों पर बाल श्रमिक काम करते हैं. बाल श्रम के खिलाफ कानून के बावजूद इन बच्चों को काम करना पड़ रहा है.