रांची: झारखंड के मेडिकल कॉलेज में नामांकन लेने के बाद सीटों की संख्या घटाने के विरोध में मेडिकल विद्यार्थियों की भूख हड़ताल शुक्रवार को भी जारी रही. राजभवन के सामने धरना पर बैठे विद्यार्थियों को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है. विद्यार्थी असमंजस में हैं.
क्या करें, कहां जायें, कुछ सूझ नहीं रहा है. इनका कहना है कि राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री तक को अपनी पीड़ा से अवगत कराने के बाद अब हमारी कौन सुनेगा. विद्यार्थियों के साथ उनके अभिभावक भी जमे हुए है. अपने बच्चों की हालत देखकर मायूस हैं. इनसे मिलने राजनीतिक दल के नेता भी पहुंच रहे हैं.
राजनीतिक मुद्दा बनाने का आश्वासन दे रहे है. शुक्रवार को एक विद्यार्थी की स्थिति बिगड़ने पर उसे सदर अस्पताल में भरती कराना पड़ा. चिकित्सकों के अनुसार उसकी स्थिति सामान्य है. सरकार से मध्यस्थता कराने के लिए शुक्रवार को मजिस्ट्रेट की टीम वहां पहुंची. एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट सुषमा बड़ाइक, मजिस्ट्रेट उमेश रजक एवं अजित सिंह ने मांग पत्र मांगा. मांग पत्र के माध्यम से सरकार को मामले की जानकारी देंगे.
26 अगस्त से हो सकती है फिर से काउंसलिंग!
राज्य में मेडिकल कॉलेजों की सीटें कम होने की सूरत में फिर से काउंसलिंग होने की नौबत आ गयी है. सूत्रों के अनुसार 26 अगस्त से मेडिकल की काउंसलिंग हो सकती है. हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है. वहीं झारखंड राज्य संयुक्त प्रवेश परीक्षा पर्षद के सूत्रों के अनुसार अखबारों में विज्ञापन निकलने के कम से कम तीन बाद ही काउंसलिंग हो सकती है. ऐसे में 26 अगस्त से रीकाउंसलिंग शुरू करने के लिए शनिवार (23 अगस्त) को ही विज्ञापन निकालना होगा. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार देश भर के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की कक्षाएं एक सितंबर से शुरू होनी चाहिए. झारखंड में एमबीबीएस सीटों की संख्या घटा दी गयी है. ऐसी स्थिति में रिम्स, रांची में 90 तथा एमजीएम मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर व पीएमसीएच, धनबाद में 50-50 सीटें रह जायेंगी. ऐसा हुआ, तो रीकाउंसलिंग के जरिये टॉप रैंकर्स का ही एडमिशन लेना होगा. यह सब करने के लिए सिर्फ सात दिन का वक्त है.
सरकारी गलती, हमें सजा
भूख हड़ताल पर बैठे विद्यार्थियों का कहना है कि सरकार की गलती की सजा हमें भुगतनी पड़ रही है. अगर सरकार ने समय पर सीट के लिए प्रयास किया होता तो यह नौबत नहीं आती. सरकार की बात एमसीआइ एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री नहीं मान रहे है. अब हमारी बात प्रधानमंत्री ही सुन सकते है. उनके पास कैसे पहुंचा जाये.
.तो क्यों की काउंसलिंग
विद्यार्थियों का कहना है कि जब सरकार को पता था कि सीट घट गयी है या घटने वाली है तो काउंसलिंग क्यों लिया गया. अब नामांकन लेने के बाद हमें बीच मंझधार में छोड़ दिया गया है. राज्य सरकार एवं एमसीआइ के बीच हम फंस गये है. अगर पता होता तो हम अन्य शिक्षण संस्थानों में अपना नामांकन करा लिये होते.