रांची: रविवार की रात साढ़े दस बजे रिम्स में गुमला निवासी नीतू देवी (29 वर्षीय) की मौत इमरजेंसी में हो गयी. मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया कि रिम्स की बिगड़ी व्यवस्था के कारण नीतू की मौत हो गयी. उन्होंने बताया कि महिला पांच माह की गर्भवती थी और हार्ट की मरीज थी.
उसे एक निजी अस्पताल ने दिन में दो बजे रिम्स रेफर किया था. इस बीच परिजन मरीज को भरती कराने के लिए एक विभाग से दूसरे विभाग में करीब सात घंटे चक्कर लगाते रहे. कार्डियोलॉजी विंग व स्त्री विभाग का चक्कर काटने और गुहार लगाने के बाद मरीज को रात नौ बजे इमरजेंसी में भरती किया गया.
चिकित्सक यह कहते रहे कि कार्डियोलॉजिस्ट को कॉल किया गया है वह आयेंगे, लेकिन चिकित्सक नहीं आये. परिजनों का कहना था कि उन्होंने स्वयं भी कार्डियोलॉजिस्ट को फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. अंतत: रात 10.30 बजे मरीज की मौत हो गयी. मरीज के साथ गर्भ में ही उसके बच्चे की मौत भी हो गयी.
परिजनों ने सुनायी अपनी पीड़ा
परिजनों ने बताया कि नीतू देवी को रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में दोपहर तीन बजे रिम्स ले कर आये. वहां सिस्टर ने भरती करने से मना कर दिया. सिस्टर ने कहा कि अगर एचओडी चाहे तो मरीज को भरती किया जा सकता है. आप स्त्री विभाग जाये. स्त्री विभाग जाने पर वहां चिकित्सकों ने कहा कि यह कार्डियोलॉजी का मामला है आप इमरजेंसी से कार्डियोलॉजी विभाग में भरती करायें. इसी पूरी प्रक्रिया में मरीज का समय गुजर गया.
मामला गंभीर है, इसकी जांच करायी जायेगी
अगर ऐसा आरोप है तो यह बहुत गंभीर मामला है. ऐसा नहीं होना चाहिए. हम डिप्टी सुपरिटेंडेंट से जानकारी लेंगे. निदेशक आयेंगे तो मामले की जांच करायी जायेगी. जो भी इसमें दोषी पाया जायेगा, उस पर कर्रावाई की जायेगी.
डॉ एसएन चौधरी, प्रभारी निदेशक