बाजार. महंगी सब्जियांे से जुलाई मंे खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ कर 7.96 प्रतिशत परएजेंसियां, नयी दिल्लीसरकार की ओर से मुनाफाखोरों, तेजडि़यों और जमाखोरों पर कार्रवाई करने के लाख एलान करने के बाद भी देश में खुदरा वस्तुओं के दामों में कमी नहीं आ रही है. बढ़ते दामों का ही नतीजा है कि जुलाई महीने में खुदरा बाजार में महंगाई ने एक बार फिर छलांग लगायी है. खाद्य वस्तुआंे में मुख्य रूप से सब्जियां, फल व दूध के महंगा होने से जुलाई माह मंे खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ कर 7.96 प्रतिशत पर पहुंच गयी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जून मंे 7.46 प्रतिशत (7.31 प्रतिशत से संशोधित) पर थी. पिछले साल जुलाई मंे खुदरा मुद्रास्फीति 9.64 प्रतिशत पर थी. मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई मंे खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ कर 9.36 प्रतिशत हो गयी, जो जून मंंे 7.97 प्रतिशत पर थी. जुलाई मंे सब्जियां सालाना आधार पर 16.88 प्रतिशत महंगी थीं. जून मंे सब्जियांे की महंगाई दर 8.73 प्रतिशत थी. इसी तरह जुलाई मेंे फल पिछले साल से 22.48 प्रतिशत महंगे थे. जून मंे फलांे के दाम 20.64 प्रतिशत ऊंचे थे. इसी तरह दालांे के दाम जुलाई मंे 5.85 प्रतिशत ऊंचे थे. समीक्षाधीन महीने मंे दूध व दुग्ध उत्पादांे के दाम एक साल पहले की तुलना में 11.26 ऊंचे रहे.बॉक्स आइटमऔद्योगिक वृद्धि दर 3.4 फीसदी रहीविनिर्माण, खनन और बिजली क्षेत्रों के बेहतर निष्पादन के बल पर जून में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 3.4 प्रतिशत रही. यह लगातार तीसरा महीना है, जब औद्योगिक उत्पादन सकारात्मक दायरे में रहा. हालांकि, मई की तुलना में यह कम है. मई, 2014 के संशोधित आंकड़ों के अनुसार, उस माह औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 5 प्रतिशत थी. वहीं, पिछले साल जून में औद्योगिक उत्पादन में 1.8 प्रतिशत की गिरावट आयी थी. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक को पूर्व के 4.7 प्रतिशत के अनुमान से संशोधित कर 5 प्रतिशत किया गया है. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 3.9 प्रतिशत रही, जबकि 2013-14 की इसी तिमाही के दौरान इसमें एक प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी. बॉक्स आइटमसात फीसदी वृद्धि और छह फीसदी महंगाई की राह पर भारतभारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधर रही है. यह सात फीसदी वृद्धि तथा छह फीसदी मुद्रास्फीति की राह पर है. सिटीग्रुप की एक शोध रिपोर्ट मंे यह अनुमान लगाया गया है. वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनी ने कहा कि नयी राजनीतिक इच्छाशक्ति व सक्रिय केंद्रीय बैंक के जरिये भारत की स्थिति मंे बदलाव आ रहा है. हालांकि वृद्धि की रफ्तार व समय को लेकर बहस हो सकती है. वित्त वर्ष 2012-13 मंे भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर घट कर 4.5 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गयी थी. हालांकि, वित्त वर्ष 2013-14 की दूसरी छमाही मंे इसमंे सुधार देखने को मिला और चालू वित्त वर्ष मंे इसकी रफ्तार मंे और सुधार दिखाई दे रहा है.बॉक्स आइटमदेर से बारिश के कारण बिजली की मांग घटीमॉनसून के कारण जुलाई माह के दौरान व्यस्त समय में बिजली की कमी घट कर 3.9 प्रतिशत पर आ गयी. केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के हालिया आंकड़ों के अनुसार, व्यस्त समय में बिजली की कमी घट कर 3.9 प्रतिशत पर आ गयी. पिछले साल के जुलाई माह के दौरान देश में व्यस्त समय में बिजली की कमी 5.1 प्रतिशत थी. प्राधिकरण बिजली मंत्रालय को सभी तकनीक एवं आर्थिक सहयोग प्रदान करता है. डेलाइट के वरिष्ठ अधिकारी (सलाहकार) देबाशीष मिश्र ने बताया कि जुलाई में बारिश के कारण देश में बिजली की मांग में करीब 3,000 मेगावाट का सुधार दर्ज किया गया. जून की तुलना में जुलाई के दौरान बिजली मांग में कमी दर्ज की गयी. जुलाई में देश की कुल बिजली मांग 1,45,014 मेगावाट थी, जबकि कुल आपूर्ति 1,39,320 मेगावाट रही.बॉक्स आइटमरिजर्व बैंक ने खरीदे 59.7 करोड़ डॉलरमुंबई. रिजर्व बैंक ने इस साल जून में हाजिर बाजार से शुद्ध रूप से 59.7 करोड़डॉलर की खरीद की. यह लगातार तीसरा महीना है, जब केंद्रीय बैंक डॉलर का शुद्ध रूप से लिवाल रहा. रिजर्व बैंक के के अनुसार, आलोच्य माह में शीर्ष बैंक ने बाजार से 3.332 अरब डॉलर खरीदे, जबकि उसने 2.735 अरब डॉलर बेचे. हालांकि, अप्रैल और मई के मुकाबले रिजर्व बैंक की डॉलर खरीद में करीब 50 प्रतिशत की कमी आयी. मई में जहां रिजर्व बैंक ने 7.981 अरब डॉलर खरीदे, जबकि 6.195 अरब डॉलर बेचे. वहीं, अप्रैल में 7.85 अरब डॉलर खरीदे तथा 1.980 अरब डॉलर बेचे. पिछले साल जून में केंद्रीय बैंक 2.252 अरब डॉलर बेचकर शुद्ध बिकवाल रहा.बॉक्स आइटमव्यापार संधियां पेश करेंगी चुनौतियांनयी दिल्ली. वाणिज्य सचिव राजीव खेर ने मंगलवार को कहा कि भारत को वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए उत्पाद मानकों, विनिर्माण एवं सेवाओं की डिलीवरी में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, क्योंकि वृहद क्षेत्रीय व्यापार संधियां-टीपीपी व टीटीआईपी देश में उद्योगों के समक्ष चुनौतियां पैदा करेंगी. यहां एक कार्यक्रम में खेर ने कहा कि ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप और ट्रांसएटलांटिक ट्रेड एंड इनवेस्टमेंट पार्टनरशिप का वैश्विक व्यापार में आधा योगदान है. इसलिए ये भारत जैसे उभरते देशों के लिए नि:संदेह बहुत ही महत्वपूर्ण हैं.बॉक्स आइटमऔद्योगिक वृद्धि की धीमी रफ्तार से उद्योग जगत चिंतितनयी दिल्ली. भारतीय उद्योग जगत ने खुदरा मुद्रास्फीति में तेजी और औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में नरमी पर मंगलवार को चिंता जताते हुए कुछ ठोस कदम उठाये जाने की जरूरत पर बल दिया, ताकि निवेशकों के बीच विश्वास बहाल हो सके. सीआइआइ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर जून में कमजोर रही, जिसकी वजह विनिर्माण क्षेत्र का सुस्त निष्पादन है. भूमि, श्रम व पर्यावरण संबंधी नियमों में उचित हस्तक्षेप के साथ विनिर्माण क्षेत्र में तेजी बहाल की जा सकती है.
सब्जियों ने बढ़ायी फिर महंगाई
बाजार. महंगी सब्जियांे से जुलाई मंे खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ कर 7.96 प्रतिशत परएजेंसियां, नयी दिल्लीसरकार की ओर से मुनाफाखोरों, तेजडि़यों और जमाखोरों पर कार्रवाई करने के लाख एलान करने के बाद भी देश में खुदरा वस्तुओं के दामों में कमी नहीं आ रही है. बढ़ते दामों का ही नतीजा है कि जुलाई महीने में खुदरा […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement