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सामूहिक ताकत को पहचानें : ग्लैडसन

फोटो सुनील- प्रेरितों की रानी धर्मसमाज द्वारा ‘युवाओं की भूमिका’ विषयक कार्यशाला संवाददाता, रांचीप्रेरितों की रानी धर्मसमाज द्वारा ‘युवाओं की भूमिका’ विषय पर पंचवटी में कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें मुख्य वक्ता, मानवाधिकार कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि आदिवासियों के सघर्ष के गौरवशाली इतिहास और विश्व का सर्वश्रेष्ठ जीवन-दर्शन होने के बावजूद लोग […]

फोटो सुनील- प्रेरितों की रानी धर्मसमाज द्वारा ‘युवाओं की भूमिका’ विषयक कार्यशाला संवाददाता, रांचीप्रेरितों की रानी धर्मसमाज द्वारा ‘युवाओं की भूमिका’ विषय पर पंचवटी में कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें मुख्य वक्ता, मानवाधिकार कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि आदिवासियों के सघर्ष के गौरवशाली इतिहास और विश्व का सर्वश्रेष्ठ जीवन-दर्शन होने के बावजूद लोग उन्हें जंगली, अर्द्घनग्न और हडि़या पीनेवाले समुदाय के रूप में देखते हैं. गैर-आदिवासी लेखकों, कवियों, सहित्यकारों, इतिहाकारों और कहानीकारों ने उन्हें पिछड़ा, असभ्य, असुर, राक्षस और दानव के रूप में ही प्रस्तुत किया है. इसमें सुधार लाने की जरूरत है.हमें अपनी सामूहिक ताकत पहचानने की जरूरत है.उन्होंने कहा कि आर्थिक प्रगति के नाम पर उनसे जल, जंगल, जमीन, पहाड़ और खनिज छीने जा रहे हैं. उनके विकास के नाम पर आये पैसों पर नौकरशाह मौज करते हैं. आदिवासियों की संस्कृति, पहचान और अस्मिता पर भी चौतरफा हमला हो रहा है. सप्रीम कोर्ट ने पांच जनवरी, 2011 को कहा कि आदिवासी ही इस देश के असली मालिक हैं; इसलिए उनके साथ भेदभाव, अन्याय और अत्याचार बंद होना चाहिए. समाज के युवा हर क्षेत्र में बेहतर करने का प्रयास करें. अपने समाज की चिंता करें. आयोजन में सिस्टर लैला, निखिल, फादर क्रिस्टोदास, पोंसियन केरकेट्टा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.

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