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रांची : छठी सिविल सेवा परीक्षा रद्द कराने के लिए अनशन शुरू

जेपीएससी कार्यालय के समक्ष अनशन व धरना पर बैठे कई छात्र रांची : झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा आयोजित छठी सिविल सेवा परीक्षा को रद्द कराने की मांग को लेकर कई छात्र शुक्रवार से जेपीएससी कार्यालय के समक्ष अनशन व धरना पर बैठ गये. छात्र नेता अजय चौधरी ने बताया कि जब तक परीक्षा […]

जेपीएससी कार्यालय के समक्ष अनशन व धरना पर बैठे कई छात्र
रांची : झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा आयोजित छठी सिविल सेवा परीक्षा को रद्द कराने की मांग को लेकर कई छात्र शुक्रवार से जेपीएससी कार्यालय के समक्ष अनशन व धरना पर बैठ गये. छात्र नेता अजय चौधरी ने बताया कि जब तक परीक्षा को रद्द कर नये सिरे से आरक्षण का लाभ देते हुए विज्ञापन निकाल कर परीक्षा नहीं ली जाती है, तब तक अनशन व धरना जारी रहेगा. अजय ने कहा कि 24 फरवरी से होनेवाले साक्षात्कार को नहीं होने दिया जायेगा. छठी सिविल सेवा परीक्षा में कई विसंगतियां हैं. इस संबंध में सरकार व आयोग का ध्यान कई बार आकृष्ट कराया गया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. अनशन पर बैठे छात्रों ने कहा कि रघुवर सरकार के समय हेमंत सोरेन छात्रों के साथ थे. अब जब श्री सोरेन मुख्यमंत्री बन गये हैं, तो वे इस मामले से अपने को अलग रख रहे हैं.
जेपीएससी गेट के बाहर दीवार पर छात्रों ने अपना बैनर लगा दिया है और सड़क किनारे दरी बिछा कर अनशन पर बैठ गये हैं. वहीं देर शाम छात्र मोरहाबादी स्थित प्रतिमा के समक्ष धरना देने चले गये. मौके पर मनोज यादव, अजय चौधरी, देवेंद्र नाथ महतो, गुलाम सादिक, दिलीप राय, मनोरंजन घोष, बलराम आदि मौजूद थे.
ओबीसी की तुलना में एससी-एसटी वर्ग का प्रतिनिधित्व घटा
जेपीएससी द्वारा आयोजित छठी सिविल सेवा परीक्षा में आरक्षण की जगह अतिरिक्त रिजल्ट देने से साक्षात्कार में ओबीसी की तुलना में एससी व एसटी वर्ग का प्रतिनिधत्वि कम हो गया है. यह कहना है आंदोलन कर रहे छात्रों का. छात्रों के अनुसार ओबीसी वर्ग के 965 अतिरिक्त रिजल्ट में कुल 113 लोगों ने मुख्य परीक्षा पास की है. जिसमें 83 अभ्यर्थी सामान्य कोटि में तथा बाकी 30 अभ्यर्थी अपने कोटि में उत्तीर्ण हुए हैं. प्रथम रिजल्ट से ओबीसी के 40 अभ्यर्थी पास किये. कुल मिलाकर ओबीसी कोटा से 153 से अधिक अभ्यर्थियों ने मुख्य परीक्षा पास की.
वहीं एसटी वर्ग से 256 तथा एससी वर्ग से 118 लोगों ने मुख्य परीक्षा पास की. एससी व एसटी वर्ग से भी कुछ लोग सामान्य कोटा में पास हुए होंगे, लेकिन उनकी संख्या कम है. इस तरह ओबीसी कोटे से 6.65 गुणा से अधिक लोगों ने मुख्य परीक्षा पास की. छठी सिविल सेवा की परीक्षा अपने आरक्षण विवादों के कारण पिछले तीन सालों से लंबित पड़ी है.
जेपीएससी द्वारा अब तक तीन बार प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट जारी किया जा चुका है लेकिन, किसी भी रिजल्ट में उसने आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया. यदि जेपीएससी प्रथम रिजल्ट में ही आरक्षण दे दिया जाता, तो विवाद इतना नहीं बढ़ता. आरक्षण विवाद के कारण ही जेपीएससी को पहले 19 गुणा और बाद में 106 गुणा रिजल्ट जारी करना पड़ा था.
लेकिन झारखंड हाइकोर्ट की खंडपीठ ने जेपीएससी द्वारा जारी दूसरे संशोधित रिजल्ट को रद्द कर दिया. प्रार्थी पंकज पांडेय द्वारा कोर्ट में मुख्य रूप से दूसरे संशोधित रिजल्ट को चुनौती दी गयी थी, इसलिए कोर्ट द्वारा 6103 रिजल्ट को स्वीकार कर लिया गया, लेकिन हाइकोर्ट ने अपने निर्णय में देव कुमार वाद में आये प्रथम संशोधित रिजल्ट को चुनौती योग्य माना. इसी को ध्यान में रखते हुए प्रार्थी राहुल कुमार द्वारा प्रथम संशोधित रिजल्ट को हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. साथ ही जेपीएससी से चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है.
अभ्यर्थियों की एक शिकायत यह भी है कि मुख्य परीक्षा के दौरान कई प्रकार की अनियमितता बरती गयी. जिनमें मुख्य परीक्षा के लिए जारी प्रवेश पत्र में अनेकों अभ्यर्थियों के लैंग्वेज पेपर प्रारंभिक परीक्षा के समय आवेदन में भरे लैंग्वेज पेपर से अलग पाये गये. फिर भी मुख्य परीक्षा के प्रवेश पत्र में इसे सुधारा नहीं गया, जिसके कारण अनेकों अभ्यर्थियों को दूसरे लैंग्वेज पेपर में मुख्य परीक्षा देना या छोड़ देना पड़ा.

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