36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

रिम्स में मुनाफे का खेल : मरीजों को सीधे एमआर बेच रहे दवा 25% तक ज्यादा वसूल रहे हैं कीमत

राजीव पांडेय ट्रॉमा सेंटर में पैर पसार रहीं दवा कंपनियां रिम्स में ट्रॉमा सेंटर की स्थापना इस उम्मीद से हुई है कि आर्थिक रूप से कमजोर गंभीर मरीजों का तत्काल मुफ्त या सस्ती दर पर बेहतर इलाज हो सके. पर ऐसा हो नहीं रहा है, क्योंकि दवा कंपनियां यहां भी अपना पैर पसार चुकी हैं. […]

राजीव पांडेय
ट्रॉमा सेंटर में पैर पसार रहीं दवा कंपनियां
रिम्स में ट्रॉमा सेंटर की स्थापना इस उम्मीद से हुई है कि आर्थिक रूप से कमजोर गंभीर मरीजों का तत्काल मुफ्त या सस्ती दर पर बेहतर इलाज हो सके. पर ऐसा हो नहीं रहा है, क्योंकि दवा कंपनियां यहां भी अपना पैर पसार चुकी हैं.
दवा कंपनियों के मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) रिम्स ट्रॉमा सेंटर की क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) में मरीजों के बेड तक दवाएं पहुंचा रहे हैं. साथ ही मोटा मुनाफा भी कमा रहे हैं. चौंकानेवाली बात यह है कि सारा खेल रिम्स प्रबंधन की जानकारी में चल रहा है. प्रभात खबर के पास मुनाफे के इस खेल के पुख्ता प्रमाण मौजूद हैं.
रांची : रिम्स ट्रॉमा सेंटर की सीसीयू में गंभीर मरीज ही भर्ती किये जाते हैं. इन मरीजों को समय-समय पर जीवन रक्षक दवाओं की जरूरत पड़ती है. इनमें अधिकतर एंटीबायोटिक दवाएं होती हैं. ये दवाएं इतनी महंगी होती हैं कि आर्थिक रूप से कमजोर लोग इन्हें नहीं खरीद पाते हैं. इन दवाओं की एमआरपी और होलसेल कीमत में 18 से 25 फीसदी का अंतर होता है. कई दवाओं की कीमत तो तीन गुना तक अधिक होती है.
मिसाल के तौर पर रिम्स ट्रॉमा सेंटर में धड़ल्ले से इस्तेमाल होनेवाली सेफट्रेय्कजोन इंजेक्शन की एमआरपी करीब 930 रुपये है, जबकि होलसेल में 690 रुपये में मिलता है. रिम्स ट्रॉमा सेंटर के मरीजों को एमआर यह इंजेक्शन एमआरपी पर ही देते हैं. इसके अलावा एंटीबॉयोटिक के रासायनिक नाम टीकोप्लानीन, मेरोपेनम इंजेक्शन, पॉली मिक्सिन बी आदि दवाओं का खुलकर उपयोग किया जाता है.
कई बार सस्ती दवा भी उपलब्ध कराते हैं एमआर : दवा कंपनियों द्वारा एमआर को दवा की बिक्री का टारगेट दिया जाता है. टारगेट पूरा नहीं होने पर एमआर दवा की एमआरपी से कम कीमत पर भी दवा उपलब्ध कराते हैं. उदाहरण के लिए एलब्युमिन का बाजार मूल्य जीएसटी के साथ 4500 रुपये है, लेकिन एमआर उस दवा को 3,000 रुपये में उपलब्ध करा देते है. हालांकि, वे दवा का बिल नहीं देते हैं.
मरीजों को डॉक्टर ही उपलब्ध कराते हैं एमआर का फोन नंबर
ऐसे चल रहा खेल
रिम्स ट्रॉमा सेंटर की सीसीयू में सरकारी सप्लाई के तहत कुछ सामान्य दवाएं और इंजेक्शन ही उपलब्ध हैं. वहीं, एंटीबॉयोटिक और अन्य जीवन रक्षक दवाएं परिजन बाहर से खरीदते हैं. एक मरीज के परिजन ने बताया कि डॉक्टर एक पर्ची पर दवाओं के नाम लिखते हैं और बात देते हैं कि फलां एमआर दवा उपलब्ध करा देंगे. वे एमआर का फोन नंबर भी उपलब्ध कराते हैं.
एमआरपी पर दवाएं
बेच रहे एमआर
दवा होलसेल एमआरपी
सेफट्रेय्कजोन 690 930
टीकोप्लानीन 1886 2200
मेरोपेनम इंजेक्शन 525 2200
पॉली मिक्सिन बी 650 790
रिम्स निदेशक से सीधी बातचीत
Qजिस उद्देश्य से ट्रॉमा सेंटर शुरू किया गया था, क्या उसके मुताबिक मरीजों को सेवा मिल रही हैं?
हमारा उद्देश्य स्पष्ट है. सेवा भाव से अगर मरीज का इलाज हो, तो उसे लाभ मिलेगा. अगर भावना ही गलत है, तो कुछ भी संभव है
Qएमआर बिना बिल के मरीजों को दवाएं मुहैया करा रहे हैं. अगर उनको कुछ हो गया, तो जिम्मेदार कौन होगा?
बिना बिल के मरीज को दवा देना गलत है. दवा देने से मरीज को किसी प्रकार की हानि होने पर साक्ष्य नहीं मिलेगा. हम जिम्मेदारी भी तय नहीं कर पायेंगे.
Qट्रॉमा सेंटर में सीसीयू शुरू करने के पहले जीवन रक्षक दवाएं मुहैया कराने की योजना क्यों नहीं बनायी गयी?
कई दवाओं की सप्लाई हमारे पास नहीं है. सस्ती दर पर उपलब्ध करानेवाली एक फार्मेसी होनी ही चाहिए. हम प्रयास भी कर रहे हैं. अभी प्रक्रिया चल रही है.
बिना बिल के उपलब्ध करायी जा रही है दवा
रिम्स ट्रॉमा सेंटर की सीसीयू में मरीजों को जो दवाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं, उनका बिल उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. ऐसे में दवा के सप्लायर की जानकारी नहीं मिल पाती है और न ही दवा के बैच नंबर या एक्सपायरी डेट का पता चल पाता है. अगर दवा के प्रयोग से मरीज को किसी प्रकार को परेशानी हुई, तो परिजन के पास शिकायत का कोई ठोस आधार भी नहीं रहता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें