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विद्युत वितरण में निजीकरण की प्रक्रिया बंद हो

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन का सेमिनार आजपूरे देश की बिजली फ्रेंचाइजी में हो रहे घालमेल पर चर्चा की जायेगीवरीय संवाददातारांची : ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने बिजली वितरण व उत्पादन में निजीकरण की प्रक्रिया बंद करने की मांग की है. इस बाबत फेडरेशन द्वारा नौ अगस्त को होटल बीएनआर में एक सेमिनार का […]

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन का सेमिनार आजपूरे देश की बिजली फ्रेंचाइजी में हो रहे घालमेल पर चर्चा की जायेगीवरीय संवाददातारांची : ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने बिजली वितरण व उत्पादन में निजीकरण की प्रक्रिया बंद करने की मांग की है. इस बाबत फेडरेशन द्वारा नौ अगस्त को होटल बीएनआर में एक सेमिनार का आयोजन किया गया है. इसके पूर्व होटल बीएनआर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दूबे ने कहा कि पूरे देश में अंधाधुंध निजीकरण के नाम पर बिजली की दर महंगी की जा रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री तत्काल यूपीए सरकार की नीतियों को समीक्षा कर इस निजीकरण की प्रक्रिया की जांच करायें. उन्होंने कहा कि रांची व जमशेदपुर में फ्रेंचाइजी देने पर 20 हजार करोड़ का नुकसान होगा. झारखंड में बिजली खरीद की औसत लागत 3.80 रुपये प्रति यूनिट है, जबकि निजी कंपनी को बोर्ड मात्र 1.78 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली बेचने जा रहा था, जो 15 वर्ष बाद 15 हजार करोड़ के नुकसान के रूप में सामने आता. उन्होंने कहा कि नागपुर, औरंगाबाद, जगलांव, भिवंडी तथा यूपीए के आगरा में पहले फ्रेंचाइजी विफल हो चुका है. सीएजी की रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि आगरा में पांच हजार करोड़ का घोटाला हुआ है. जेपेसा के महासचिव प्रशांत चतुर्वेदी ने कहा कि पीटीपीएस को भी निजी घरानों को देने की साजिश चल रही है, जो गलत है. सेमिनार में पूरे देश की बिजली फ्रेंचाइजी में हो रहे घालमेल पर चर्चा की जायेगी. इनके साथ फेडरेशन के महासचिव पी.रत्नाकर राव, बीएन यादव, अक्षय कुमार व एके जैन भी उपस्थित थे.

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