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रांची : सेल की याचिकाओं पर हुई सुनवाई
रांची : हाइकोर्ट में मंगलवार को एमएमडीआर एक्ट की धारा 21(5) की वैधानिकता को चुनाैती देनेवाली याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. लंबी चली सुनवाई के दाैरान खंडपीठ ने प्रार्थी, केंद्र सरकार व राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद […]
रांची : हाइकोर्ट में मंगलवार को एमएमडीआर एक्ट की धारा 21(5) की वैधानिकता को चुनाैती देनेवाली याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई.
लंबी चली सुनवाई के दाैरान खंडपीठ ने प्रार्थी, केंद्र सरकार व राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद मामले को एकल पीठ में स्थानांतरित कर दिया. प्रार्थी सेल को अंतरिम राहत नहीं मिल पायी. एकल पीठ में केंद्र सरकार द्वारा निर्गत निर्देशों पर सेल द्वारा की गयी आपत्तियों पर सुनवाई होगी. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्त गणेशन ने पक्ष रखा. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न न्याय आदेशों का हवाला देते हुए सेल के पक्ष में आदेश देने का आग्रह किया. वहीं राज्य सरकार की अोर से महाधिवक्ता अजीत कुमार, अपर महाधिवक्ता अनूप कुमार मेहता, अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन व केंद्र सरकार की अोर से अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने पक्ष रखा. उन्होंने प्रार्थी की दलील का विरोध किया तथा एमएमडीआर एक्ट की धारा 21 (5) को सही बताया.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सेल की अोर से तीन याचिका दायर की गयी है. मूल याचिका में एमएमडीआर एक्ट की धारा 21 (5) की वैधानिकता को चुनाैती दी गयी है. साथ ही केंद्रीय वन, पर्यावरण व क्लाइमेट चेंज मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार को निर्गत निर्देशों, जिसमें कहा गया है कि फॉरेस्ट क्लियरेंस के बिना अवैध खनन किया गया है, जिस पर कार्रवाई की जाये, को भी चुनाैती दी गयी है.
प्रार्थी ने कहा, एक ही मामले में दो-दो केस नहीं हो सकता
रांची़ हाइकोर्ट की जस्टिस अनुभा रावत चाैधरी की अदालत में धनबाद जमीन अधिग्रहण मुआवजा घोटाले में दर्ज की गयी दूसरी प्राथमिकी को चुनाैती देनेवाली याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने प्रार्थी व एसीबी का पक्ष सुनने के बाद अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तिथि निर्धारित की. प्रार्थियों की अोर से वरीय अधिवक्ता एके कश्यप ने बताया कि एक ही मामले में दो-दो प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकती है. यह विधिसम्मत नहीं है. दूसरी प्राथमिकी को निरस्त करने का आग्रह किया. एसीबी की अोर से टीएन वर्मा ने इसका विरोध किया.
10 साल से अनुसंधान लंबित, जतायी नाराजगी
रांची . हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में क्रिमिनल क्वैशिंग याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने मामले का अनुसंधान 10 साल में भी पूरा नहीं होने पर कड़ी नाराजगी जतायी. अदालत ने चाईबासा के एसपी, संबंधित थाना प्रभारी व अनुसंधानकर्ता को सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया. पूछा कि प्राथमिकी दर्ज हुए 10 साल हो गये, लेकिन अनुसंधान अब तक पूरा क्यों नहीं हुआ. अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी.
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