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हर वर्ग को इंटरटेन करेगी एंटरटेनमेंट

फिल्म : एंटरटेनमेंटनिर्देशक : साजिद फरहादनिर्माता : रिलायंस एंटरटेनमेंटकलाकार : अक्षय कुमार, तमन्ना, मिथुन चक्रवर्ती, कृष्णा अभिषेक, सोनू सूद, प्रकाश राज, जॉनी लीवर और दिलीप ताहिलरेटिंग : ढाईउर्मिला कोरीगोलमाल और बोल बच्चन जैसी कई कॉमेडी फिल्मों के लेखक साजिद फरहाद में एंटरटेनमेंट के जरिये बतौर निर्देशक अपनी शुरुआत कर रहे हैं. कॉमेडी फिल्मों के इस […]

फिल्म : एंटरटेनमेंटनिर्देशक : साजिद फरहादनिर्माता : रिलायंस एंटरटेनमेंटकलाकार : अक्षय कुमार, तमन्ना, मिथुन चक्रवर्ती, कृष्णा अभिषेक, सोनू सूद, प्रकाश राज, जॉनी लीवर और दिलीप ताहिलरेटिंग : ढाईउर्मिला कोरीगोलमाल और बोल बच्चन जैसी कई कॉमेडी फिल्मों के लेखक साजिद फरहाद में एंटरटेनमेंट के जरिये बतौर निर्देशक अपनी शुरुआत कर रहे हैं. कॉमेडी फिल्मों के इस दौर में यह फिल्म इस मामले में अलहदा है कि यहां पर एक इनसान और एक जानवर के बीच के रिश्ते को दिखाया गया है. इनसान से ज्यादा इनसानियत एक जानवर में होती है, कहीं न कहीं यह फिल्म इस बात को दर्शाती है. खास बात यह है कि इस फिल्म के जरिये काफी समय बाद कहानी में एक जानवर को अहमियत दी गयी है. जानवर इनसान का सबसे अच्छा दोस्त होता है, इसी पर फिल्म की कहानी है. फिल्म की कहानी एक बहुत बड़़े बिजनेसमैन की है, जिसकी मौत हो गयी है. वह अपने तीन हजार करोड़ की जायदाद का वारिस अपने कुत्ते एंटरटेनमेंट को बना देता है. उस बिजनेसमैन का एक नाजायज बेटा अखिल (अक्षय) है, जो पहले उस कुत्ते को मारकर उस बड़ी जायदाद का मालिक बनना चाहता है, लेकिन इस बीच एंटरटेनमेंट उसकी जान बचा लेता है फिर उसे यकीन हो जाता है कि कुत्ते में उससे ज्यादा इनसानियत है. कहानी में अब विलेन करन (प्रकाश राज) अर्जुन (सोनू सूद) की एंट्री होती है, जो कानूनी दांव-पेंच की मदद से खुद तीन हजार करोड़ की जायदाद का मालिक बन जाते हैं. अखिल एंटरटेनमेंट का हक दिलाने का फैसला लेता है. वह कैसे उसका हक दिलायेगा, इसी के ईद-गिर्द फिल्म की कहानी घूमती है. फिल्म की कहानी थोड़ी मेलोड्रमैटिक है. कुत्ते का मर कर फिर जिंदा होना थोड़ा अजीब-सा लगता है. बीच-बीच में करन-अर्जुन के प्रसंग पर जो ड्रामा नजर आता है, वह भी उबाऊ-सा लगता है. कहानी में थोड़ी खामियां रह गयी हैं. परदे पर सशक्त कहानी की एक बार फिर कमी नजर आयी है. अभिनय की बात करें अक्षय कुमार प्रभावी रहे हैं. कृष्णा अभिषेक अपने किरदार में जंचे हैं. बोल बच्चन के बाद इस फिल्म में भी वह अपनी छाप छोड़ने में कामयाब दिखे हैं. अन्य किरदार को करने के लिए कुछ खास नहीं था. फिल्म के संवाद बेहतरीन हैं. फिल्मों के कलाकारों के नाम का उपयोग कर जिस तरह से संवाद बनाये गये हैं, वह नयापन लिये है. फिल्म के संवाद फिल्म की यूएसपी है. साजिद फरहाद का निर्देशन ठीक है. फिल्म में बैंकॉक के खूबसूरत लोकेशंस को दिखाया गया था. फिल्म का अन्य पक्ष भी ठीक-ठाक है. आखिर में फिल्म की कहानी में खामियां हैं लेकिन यह पूरी तरह से पैसा वसूल फिल्म है. काफी समय बाद यह एक ऐसी फिल्म आयी है जो बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, सभी का मनोरंजन कर सकने में सक्षम है. एंटरटेनमेंट हर वर्ग के दर्शक को एटंरटेन करेगी.

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