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रांची: यूटिलिटी शिफ्टिंग व डायवर्सन रोड की योजना के बिना ही शुरू किया गया था फ्लाइओवर का काम

फ्लाइओवर का कांटा. जुडको की लापरवाही से कांटाटोली चौक से गुजरने वाले लोग परेशान रिवाइज्ड डीपीआर को नहीं मिली स्वीकृति, तो लंबे समय तक लटक सकता है काम रांची : जुडको के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से कांटाटोली चौक से गुजरने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसी भी फ्लाइओवर […]

फ्लाइओवर का कांटा. जुडको की लापरवाही से कांटाटोली चौक से गुजरने वाले लोग परेशान
रिवाइज्ड डीपीआर को नहीं मिली स्वीकृति, तो लंबे समय तक लटक सकता है काम
रांची : जुडको के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से कांटाटोली चौक से गुजरने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसी भी फ्लाइओवर के निर्माण की योजना बनाने के पूर्व यूटिलिटी शिफ्टिंग जरूरी है. इसके तहत सड़क किनारे से गुजरने वाली नाली, बिजली के पोल, पानी का पाइप, टेलीफोन के केबल जैसी चीजों को शिफ्ट किया जाता है. डायवर्सन रोड बनाया जाता है. यूटिलिटी शिफ्टिंग और डायवर्सन रोड तैयार होने के बाद ही मेन ब्रिज का काम शुरू होता है, लेकिन जुडको ने बिना किसी तैयारी के काम शुरू कर दिया. यूटिलिटी शिफ्टिंग तो दूर, डायवर्सन रोड पर विचार किये बिना ही काम चालू कर दिया गया.
कांटाटोली फ्लाइओवर निर्माण के लिए मेकन ने डिटेल्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाया था. फ्लाइओवर निर्माण की प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू होते ही कई स्तरों पर त्रुटियां पायी गयीं. यह त्रुटियां भविष्य में परेशानी का सबब बन सकती थीं. त्रुटियों की वजह से मेकन ने पूर्व में तैयार किये गये इस्टीमेट को रिवाइज किया. पुराने डीपीआर में जहां फ्लाइओवर निर्माण, भूमि अधिग्रहण आदि पर करीब 192 करोड़ रुपये खर्च होने थे, वहीं अब यह राशि बढ़ कर 257 करोड़ रुपये हो गयी है. पूर्व में केवल फ्लाइओवर निर्माण पर 40 करोड़ रुपये खर्च किये जाने थे. लेकिन, रिवाइज्ड डीपीआर में फ्लाइओवर निर्माण की लागत 86 करोड़ रुपये हो गयी है.
ठेकेदार का भुगतान रोका गया : राज्य सरकार द्वारा संवेदकों को किये जाने वाले भुगतान के पूर्व सरकार का आदेश प्राप्त करने का निर्देश जारी करने का असर कांटाटोली फ्लाइओवर पर भी पड़ा है. कांटाटोली फ्लाइओवर का काम कर रहे संवेदक कंपनी का भुगतान भी रोक दिया गया है. जुडको ने अब तक संवेदक को करीब पांच करोड़ रुपये का भुगतान किया है. संवेदक के शेष बिल का भुगतान रोक दिया गया है. संवेदक कंपनी ने बिना भुगतान लिये कार्य जारी रखने में असमर्थ होने की सूचना सरकार को दे दी है. इसी कारण से कांटाटोली फ्लाइओवर के निर्माण की गति बिल्कुल मंद पड़ गयी है.
ये भी जानें
1. पहले कांटाटोली फ्लाइओवर की लंबाई 905 मीटर
थी, जिसे अब बढ़ा कर 1250 मीटर कर दिया गया है.
2. फ्लाइओवर के प्रस्तावित एलाइनमेंट के अनुसार, खादगढ़ा बस पड़ाव के पास फ्लाइओवर का प्रस्तावित रैंप पड़ने के कारण ड्रॉप लोकेशन के निकट यातायात का दबाव बढ़ जाता. इसके लिए अंडर पास की जरूरत थी, जो पूर्व के प्राक्कलन में नहीं था
3. फ्लाइओवर के क्रियान्वयन के दौरान स्लिप रोड, सर्विस रोड तथा यूटिलिटी स्पेस के लिए एलाइनमेंट के किनारे स्थित दो कब्रगाह की भूमि के अधिग्रहण की आवश्यकता होती, जो संभव नहीं था.
4. फ्लाइओवर के दक्षिणी छोर पर बहू बाजार के निकट दो पुराने कलवर्ट तथा उत्तरी छोर पर मौजूद पुरानी पुलिया के चौड़ीकरण और जीर्णोद्धार की जरूरत थी, जो स्वीकृत प्लान में शामिल नहीं था.
5. प्रस्तावित एलाइनमेंट के किनारे मौजूद जलापूर्ति पाइप लाइन तथा बिजली के केबल की शिफ्टिंग का प्रावधान पूर्व के स्वीकृत प्राक्कलन में नहीं था
6. पियर कैप की पूर्व के प्राक्कलन में रखी गयी लंबाई कम पायी गयी
7.फ्लाइओवर के वर्टिकल प्रोफाइल में संशोधन की आवश्यकता पायी गयी
8. वन विभाग द्वारा निर्गत एनओसी में हटाये गये वृक्षों के एवज में अनिवार्य वनरोपण का प्रावधान नहीं किया गया था
9. फ्लाइओवर निर्माण की अवधि में यातायात के सुगम संचालन के लिए डायवर्सन रोड का प्रावधान नहीं था
राशि के अभाव में रुका है काम
कांटाटोली फ्लाइओवर का काम राशि के अभाव में पिछले चार माह से रुका हुआ है.
डीपीआर में किये गये बदलाव के कारण प्रोजेक्ट का कॉस्ट भी बढ़ गया है. कांटाटोली फ्लाइओवर निर्माण में चार प्रमुख बिंदुओं पर सबसे अधिक खर्च होना है. फ्लाइओवर कंस्ट्रक्शन, इलेक्ट्रिकल वर्क, पाइपलाइन शिफ्टिंग और चौथा भूमि अधिग्रहण. नये डीपीआर के मुताबिक केवल फ्लाइओवर कंस्ट्रक्शन की लागत में पुराने डीपीआर की तुलना में 100 फीसदी से अधिक वृद्धि हो गयी है. बिना सरकार की स्वीकृति के डीपीआर की लागत में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती है. पिछले चार महीनों से कांटाटोली फ्लाइओवर का निर्माण अधूरा छोड़ कर रिवाइज्ड डीपीआर तैयार करने और उसकी स्वीकृति की प्रक्रिया जारी है. रिवाइज्ड डीपीआर को बढ़ी हुई राशि की प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिली, तो फ्लाइओवर का काम लंबे समय तक लटक सकता है.

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