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रांची : पारा शिक्षकों को समान काम का समान वेतन क्यों नहीं : हाइकोर्ट

रांची : राज्य के 67,000 पारा शिक्षकों की सेवा नियमितीकरण और वेतनमान को लेकर दायर याचिकाअों पर सोमवार को झारखंड में हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सरकार से सवाल किया कि पारा शिक्षकों को समान काम का समान वेतन क्यों नहीं […]

रांची : राज्य के 67,000 पारा शिक्षकों की सेवा नियमितीकरण और वेतनमान को लेकर दायर याचिकाअों पर सोमवार को झारखंड में हाइकोर्ट में सुनवाई हुई.
इस दौरान चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सरकार से सवाल किया कि पारा शिक्षकों को समान काम का समान वेतन क्यों नहीं दिया जा रहा है? खंडपीठ ने इस मामले में सरकार को शपथपत्र के माध्यम से जवाब दायर करने का निर्देश दिया. साथ ही सरकार के आग्रह को देखते हुए अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तिथि निर्धारित की है.
इससे पूर्व प्रार्थियों की अोर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया व अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने पक्ष रखा. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि वह भी सरकारी शिक्षकों की भांति नियमित काम कर रहे हैं. ऐसे में वे भी समान काम का समान वेतन के हकदार हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तरह का आदेश पारित किया है.
राज्य सरकार ने सेवा नियमितीकरण नियमावली भी बनायी है. उनकी सेवा नियमित करते हुए वेतनमान देने के लिए सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया गया. खंडपीठ ने प्रार्थियों का पक्ष सुनने के बाद सरकार के अधिवक्ता को जवाब देने का निर्देश दिया. सरकार की अोर से अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन ने समय देने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी पारा शिक्षक कमलेश कुमार सिंह, दिनेश कुमार साव, रूपेश कुमार सिंह व अन्य की अोर से अलग-अलग याचिका दायर की गयी है. उन्होंने अपनी सेवा को नियमित करने व वेतनमान देने की मांग की है.

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