रांची : राज्य के स्कूलों में मध्याह्न भोजन की राशि के खर्च का हिसाब-किताब नहीं रखा जा रहा है. कुछ स्कूलों के पास तो कैशबुक और पासबुक भी नहीं है. इसका खुलासा मध्याह्न भोजन प्राधिकरण द्वारा कराये गये सोशल ऑडिट की रिपोर्ट में हुआ है. वर्ष 2019-20 में राज्य में 1210 विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना का सोशल ऑडिट कराया गया है.
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कई स्कूलों में मध्याह्न भोजन के खर्च का हिसाब नहीं
रांची : राज्य के स्कूलों में मध्याह्न भोजन की राशि के खर्च का हिसाब-किताब नहीं रखा जा रहा है. कुछ स्कूलों के पास तो कैशबुक और पासबुक भी नहीं है. इसका खुलासा मध्याह्न भोजन प्राधिकरण द्वारा कराये गये सोशल ऑडिट की रिपोर्ट में हुआ है. वर्ष 2019-20 में राज्य में 1210 विद्यालयों में मध्याह्न भोजन […]
इसमें पाया गया कि छह फीसदी विद्यालयों के पास मध्याह्न भोजन संचालन से जुड़ा न तो कोई बैंक खाता है और न ही खर्च का कोई हिसाब. चेक से राशि निकासी कर खर्च की जाती है, लेकिन इसका कोई रिकाॅर्ड नहीं रखा जाता है. राज्य में पहली बार विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना का सोशल और उसके खर्च का आॅडिट कराया जा रहा है.
इसमें पता चला है कि विद्यालयों में चावल के उठाव और खर्च के रिकाॅर्ड का मिलान नहीं हो रहा है. कई विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के लिए जितना चावल का उठाव किया गया, उतना खर्च नहीं हुआ. कई विद्यालयों में तो 50 से 100 क्विंटल चावल का हिसाब नहीं मिल रहा है. इसके लिए दोषी लोगों से 1800 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से चावल की कीमत वसूली जायेगी.
चावल में हेराफेरी करनेवालों से 1800 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से होगी वसूली
50% से अधिक छात्राएं, पर महिला शिक्षक नहीं
सोशल ऑडिट में पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में महिला शिक्षकों की संख्या काफी कम है. ग्रामीण क्षेत्रों के जिन विद्यालयों में छात्राओं की संख्या 50 फीसदी से अधिक है, वहां भी एक या दो महिला शिक्षक हैं या फिर एक भी नहीं हैं. वहीं, शहरी क्षेत्र के विद्यालयों में महिला शिक्षक अधिक हैं. राज्य के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में महिलाओं को 50% का आरक्षण दिया गया है.
बीइइओ पर कार्रवाई होगी
मध्याह्न भोजन योजना में गड़बड़ी वाले प्रखंडों के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी पर कार्रवाई की जायेगी. प्राधिकरण द्वारा आधा दर्जन से अधिक प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारियों को चिह्नित किया गया है. इनमें तीन प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का प्रस्ताव तैयार किया गया है.
06% स्कूलों के पास मध्याह्न भोजन योजना का हिसाब किताब
नहीं है
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