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जानें, झारखंड-बिहार की इन एसिड सर्वाइवर की संघर्ष भरी कहानी

दीपिका पादुकोण की फिल्‍म ‘छपाक’ 10 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई. फिल्‍म एसिड सवाईवर लक्ष्‍मी अग्रवाल पर आधारित है. मेघना गुलजार के निर्देशन में बनी इस फिल्‍म में विक्रांत मेसी भी मुख्‍य भूमिका में हैं. फ़िल्म में मालती (दीपिका पादुकोण) के किरदार के ज़रिए दिखाया गया है जिसने न सिर्फ अपने दोषियों को […]

दीपिका पादुकोण की फिल्‍म ‘छपाक’ 10 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई. फिल्‍म एसिड सवाईवर लक्ष्‍मी अग्रवाल पर आधारित है. मेघना गुलजार के निर्देशन में बनी इस फिल्‍म में विक्रांत मेसी भी मुख्‍य भूमिका में हैं. फ़िल्म में मालती (दीपिका पादुकोण) के किरदार के ज़रिए दिखाया गया है जिसने न सिर्फ अपने दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी बल्कि एसिड की खुली बिक्री के खिलाफ भी कानून में संसोधन करवाने की वजह बनी. उसकी यह लड़ाई आसान नहीं थी. समाज से लेकर आर्थिक स्थिति सभी उसका रोड़ा बनी. लेकिन उसने हार नहीं मानी और महिलाओं के साथ इस तरह का व्यवहार करने वालों के खिलाफ मजबूती के साथ जंग लड़ी. इस कड़ी में जानिये झारखंड-बिहार की कुछ ऐसी ही एसिड सर्वाइवर की कहानी…

सोनाली मुखर्जी

झारखंड के धनबाद जिले की रहने वाली सोनाली मुखर्जी की जिंदगी ‘एसिड अटैक’ के कारण पूरी तरह बर्बाद हो गयी थी. हमला इतना गंभीर था कि उसके देखने सुनने की क्षमता भी खत्म हो गयी थी. उसके परिजनों ने काफी खर्च करके उसका इलाज कराया, जिसके बाद सोनाली देख तो नहीं सकतीं लेकिन सुन सकती हैं. सोनाली का चेहरा और पूरा शरीर जल चुका है. सोनाली के जीवन में चितरंजन तिवारी खुशियां लेकर आयें और उसे जीने की वजह दी. सोशल मीडिया फेसबुक के जरिये संपर्क में आये सोनाली और चितरंजन ने वर्ष 2015 में बकायदा शादी की. चितरंजन ने सोनाली को जीने की वजह दी. सोनाली ने पूरी जीवटता के साथ जिंदगी की इस जंग को लड़ा है. 70 प्रतिशत तक जल चुकी सोनाली अब एक बच्ची की मां हैं. दिसंबर 2016 में उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया. उनके पति चितरंजन बच्ची के जन्म से बहुत खुश हैं. उनका कहना कि हमारी बेटी समाज में एक मिसाल कायम करेगी.

सपना कुमारी (बोकारो थर्मल, झारखंड)

वर्ष 1999 की बात है, जब मेरे साथ-साथ पूरे परिवार पर एसिड अटैक हुआ. मेरे पापा सुनार थे. उन दिनों ऑफ सीजन की वजह से उनका व्यापार थोड़ा मंदा चल रहा था. हमलावर मेरे पिता का करीबी था. उसने पिता से कहा कि किसी ने आप पर टोना-टोटका कर दिया है, तभी व्यापार में मंदी है. पिताजी उसके झांसे में आ गये. उसने उपाय बताते हुए कहा कि वह किसी मौलाना को जानता है, जो मंत्र फूंक कर पानी देता है. फिर एक रोज उसने मेरे बड़े भाई को अपने घर बुला कर एक लोटा पानी दिया और कहा कि इसे तुम सारे परिवारवाले एक साथ बैठ कर पी लेना. तुम्हारी आर्थिक परेशानी दूर हो जायेगी. उस रात लाइट चली गयी थी, तो हम सब लोग छत पर बैठे थे. भाई ने सबको थोड़ा-थोड़ा पानी गिलास में ढाल कर पीने दिया. जैसे ही मेरे गले से वो पानी उतरा, गले में जलन होने लगी. मैं जोरों से चीखी. तब तक मेरे पिता, छोटा भाई और मंझली बहन उस पानी को पीकर उल्टियां करने लगे थे. मेरी चीख सुन कर मां, मेरी बड़ी बहन और एक अन्य भाई के हाथ से गिलास छूट कर नीचे गिर गया और वे लोग दौड़ कर हमें बचाने आये. तुरंत हॉस्पिटल लेकर गये. हमने थाने में केस दर्ज किया. सालों मुकदमा चला. आज अपराधी जेल में है. मेरी मंझली बहन, एक भाई और पिता की मौत हो चुकी है. मेरे गले की नली पूरी तरह डैमेज हो गयी है. इस वजह से मैं पिछले 20 वर्षों से लिक्विड डायट पर जिंदा हूं. उसे खाने से पहले भी हर दिन मुझे करीब डेढ़ मीटर लंबे पाइप को मुंह में डालना पड़ता है. यह बेहद दर्दनाक प्रक्रिया है. पूरे दिन में दो बार से ज्यादा ऐसे खाने की हिम्मत नहीं पड़ती. कई बार भूख लगती भी है, तो पानी पीकर काम चलाना पड़ता है, इसके लिए पाइप डालने की जरूरत नहीं होती. दिल्ली एम्स में डॉक्टर को दिखाया था, तो उन्होंने कहा कि कॉर्ड बदलना पड़ेगा, पर चार-पांच लाख रुपये का खर्च आयेगा. फिलहाल इतने पैसे हैं नहीं, तो इलाज संभव नहीं हो पा रहा. सरकार और समाज से मदद की उम्मीद है. फिलहाल मैं एक सरकारी ऑफिस में कार्यरत हूं. भाई पापा की दुकान संभालता है. उससे बस गुजर-बसर लायक आमदनी ही हो पाती है.

रोशनी (बदला हुआ नाम)

12 सितंबर, 2015 को नवादा की रहनेवाली रोशनी (बदला हुआ नाम) के ऊपर उनके गांव के ही एक लड़के ने रात में सोते समय एसिड फेंक दिया था. एसिड अटैक से रोशनी लगभग 42 फीसदी जल गयी थी. इलाज के बाद उसकी जिंदगी तो बच गई. लेकिन इलाज रेगुलर नहीं हो पाया. इससे उसके कान, नाक और अब आंख पर भी असर होने लगा. रोशनी अपाहिज की जिंदगी जी रही है. उसका कहना है,’ ‘मेरा क्या कसूर था, मैंने तो उससे प्यार भी नहीं किया था, लेकिन उसने मेरे ऊपर एसिड फेंक दिया. एसिड के कारण मेरा पूरा चेहरा बरबाद हो गया. मैं ठीक से सुन नहीं पाती हूं. लेकिन अब तो मेरा आंख भी काम करना बंद कर रहा है. दिखाई नहीं देता है….’

गीता देवी

भागलपुर के अमरपुर थाना के इंग्लिश मोड़ स्थित कुंडा पुल के समीप फरवरी 2019 में गीता देवी पर हुए तेजाबी हमले में गंभीर रूप से झुलसी उनके आठ माह की मासूम बच्ची आरूषी की इलाज के दौरान मौत हो गई. जबकि तेजाबी हमले के बाद गंभीर रूप से झुलस चुकी गीता के एक आंख की रोशनी खत्म हो गयी है. उनकी बड़ी बेटी भी तेजाब से झुलसी है, लेकिन उसकी स्थिति खतरे से बाहर बतायी जाती है. पीड़िता ने बताया कि एक साल पहले असलम उसका ऑटो चलाता था. इस वजह से उसका रोजाना उसके घर आना-जाना था. कई बार आरोपित ने उनके साथ गलत हरकत करने का भी प्रयास किया. जिसका वह विरोध करती थीं. एक दिन वह दोनों बेटियों को लेकर जा रही थी. इसी दौरान सामने से असलम आया और तेजाब फेंक कर भाग गया.

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