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रांची : सीएनटी प्रभावित जमीन पर नक्शा पास नहीं कर रहा है आरआरडीए
विवेक चंद्र रांची : आरआरडीए अपने क्षेत्राधिकार वाली सीएनटी एक्ट से प्रभावित जमीनों पर नक्शा पास नहीं कर रहा है. आरआरडीए ने सरकार को पत्र लिख कर कहा है कि राज्य के बिल्डिंग बाइलॉज में बदलाव के बाद सीएनटी एक्ट प्रभावित जमीन पर मालिकाना हक सुनिश्चित करने में परेशानी हो रही है. इससे पोर्टल द्वारा […]
विवेक चंद्र
रांची : आरआरडीए अपने क्षेत्राधिकार वाली सीएनटी एक्ट से प्रभावित जमीनों पर नक्शा पास नहीं कर रहा है. आरआरडीए ने सरकार को पत्र लिख कर कहा है कि राज्य के बिल्डिंग बाइलॉज में बदलाव के बाद सीएनटी एक्ट प्रभावित जमीन पर मालिकाना हक सुनिश्चित करने में परेशानी हो रही है.
इससे पोर्टल द्वारा उक्त भूमि पर मकान का नक्शा अस्वीकृत कर दिया जा रहा है. आरआरडीए के उपाध्यक्ष राजकुमार ने इस संबंध में सरकार से दिशा-निर्देश मांगा है. आरआरडीए उपाध्यक्ष ने नगर विकास सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि आरआरडीए के क्षेत्राधिकार में बहुत सी भूमि वैसी है, जो सीएनटी एक्ट की धारा 46 से प्रभावित है.
नक्शा पास करने के दौरान खतियान एवं म्यूटेशन रिकाॅर्ड से संबंधित समस्याएं आ रही हैं. बहुत से प्लॉट के खतियान फटे हैं. कई ऐसे मामले हैं, जहां अभिलेखागार से खतियान फटा होने का प्रमाण पत्र जारी किया गया है और नक्शे का आवेदक सामान्य जाति का है.
इसके अलावा कई ऐसे मामले हैं, जिनमें खतियान में स्पष्ट रूप से उल्लेखित एसटी, एससी या सीएनटी से प्रभावित पिछड़ा वर्ग की जातियां हैं. लेकिन, म्यूटेशन रिकाॅर्ड व सेल डीड के आधार पर जमीन की बिक्री पूर्व में सामान्य जाति को हो चुकी है. खतियान एवं सेलडीड के आधार पर म्यूटेशन किया जाता है. इस तरह जाति के संबंध में स्पष्ट विरोधाभास है. ऐसे भी मामले हैं, जिनमें खतियान में गैर मजरूआ भूमि दर्ज है. लेकिन, सामान्य जाति के नाम से नक्शे समर्पित किये गये हैं.
बिल्डिंग बाइलॉज के नियमों से हो रही परेशानी
पत्र में कहा गया है कि बिल्डिंग बाइलॉज में ओनरशिप टाइटल की व्याख्या की गयी है. ओनरशिप टाइटल राजस्व एवं व्यवहार न्यायालय से संबंधित विषय है. आरआरडीए मूलत: नक्शों की वैज्ञानिक जांच, मास्टर प्लान, शहरी प्रबंधन व विकास आदि विषयों पर विचार कर कार्रवाई करता है.
जमीन के ओनरशिप टाइटल आदि का फैसला राजस्व पदाधिकारियों द्वारा लिया जाता है. म्यूटेशन के बाद ही किसी जमीन पर नक्शा पास करने का प्रस्ताव आरआरडीए में आता है. आरआरडीए को ओनरशिप तय करने की कोई शक्ति प्राप्त नहीं है. ऐसे में केवल म्यूटेशन के आधार पर तकनीकी पदाधिकारियों द्वारा नक्शों की तकनीकी जांच के बाद स्वीकृति देने पर विचार किया जाना चाहिए.
जमीन की खरीद-बिक्री से पहले ले आउट प्लान पास कराना अनिवार्य
आरआरडीए क्षेत्र में जमीन की खरीद-बिक्री करने वालों को अब जमीन का ले आउट प्लान पास कराना जरूरी होगा. आरआरडीए ने इसके लिए नियम तो बनाया है, लेकिन लोग इसका पालन नहीं कर रहे हैं. अब इसे सख्ती से लागू करने की तैयारी है. 31 मार्च तक आॅफलाइन ले आउट प्लान पास होगा. इसके बाद ऑनलाइन आवेदन करने के बाद ही ले आउट प्लान को स्वीकृति दी जायेगी.
बिना प्लान के शहर के बाहर भी बस रहा शहर : रांची शहरी क्षेत्र के बाहर भी 15 साल में तेजी से जमीन की खरीद बिक्री हुई है. यहां ब्रोकर मनमाने तरीके से प्लॉटिंग करके जमीन बेच रहे हैं.
इससे भविष्य में स्लम जैसी स्थिति उत्पन्न होने की आशंका है. इन इलाकों में सड़क, सीवरेज-ड्रेनेज आदि के लिए जमीन नहीं छोड़ी जा रही है. ब्रोकर नये प्लॉट में कहीं 10-12 फीट चौड़ी सड़क छोड़ कर जमीन बेच रहे हैं, तो कहीं सड़कों के लिए पांच से छह फीट सड़क छोड़ी जा रही है.
कौन लोग हैं प्रभावित
1. एससी-एसटी व सीएनटी में शामिल पिछड़ी जातियों के लोग.
2. सामान्य जातियों के वैसे लोग जिन्होंने सीएनटी की जमीन कंपनशेसन देकर हासिल की है.
3. कई ऐसे लोग भी हैं, जिनकी जमीन का खतियान फट गया है या नहीं मिल रहा.
आरआरडीए उपाध्यक्ष का पत्र प्राप्त हुआ है. उस पर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है. सीएनटी प्रभावित क्षेत्र में नक्शों की स्वीकृति पर कोई रोक नहीं है. इसके लिए आरआरडीए को जल्द ही आवश्यक निर्देश दिया जायेगा.
– अजय कुमार सिंह, प्रधान सचिव, नगर विकास विभाग
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