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हेमंत राज : जानें नयी सरकार से क्या चाहते हैं आदिवासी

हेमंत सोरेन के नेतृत्व में नयी सरकार के सामने भी कई चुनौतियां होंगी. एक स्वस्थ झारखंड के निर्माण में सरकार को भेदभाव व विद्वेष की भावना से ऊपर उठ कर पूरी तन्मयता से काम करना होगा. झारखंड की जनता की निगाह इस सरकार पर होगी. जमीनी हकीकत से जुड़े हर मुद्दे को बारीकी से समझते […]

हेमंत सोरेन के नेतृत्व में नयी सरकार के सामने भी कई चुनौतियां होंगी. एक स्वस्थ झारखंड के निर्माण में सरकार को भेदभाव व विद्वेष की भावना से ऊपर उठ कर पूरी तन्मयता से काम करना होगा. झारखंड की जनता की निगाह इस सरकार पर होगी. जमीनी हकीकत से जुड़े हर मुद्दे को बारीकी से समझते हुए आगे बढ़ना होगा. शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, कृषि के साथ-साथ वित्तीय व्यवस्था को ठीक करते हुए गुड गवर्नेंस को प्राथमिकता देनी होगी. सरकार के सामने किस-किस तरह की चुनौती होगी. इस संबंध में प्रभात खबर ने कुछ प्रबुद्ध लोगों से बात की. पेश हैं उनके विचार…
स्वशासी जिला परिषद और निचले स्तर पर आदिवासी ग्राम सभा की स्थापना हो
झारखंड के पांचवी अनुसूची के क्षेत्र में संसदीय कानून पी-पेसा 1996 की धारा 3, 4, 4 (ओ), 4 (एम) व धारा 5 के आलोक में स्वशासी जिला परिषद और निचले स्तर पर आदिवासी ग्राम सभा की स्थापना अपवादों व उपांतरणों के अधीन की जाये, जिनके पास विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की शक्तियां निहित हो़ं इससे आदिवासियों की जमीन और उनका अस्तित्व बचेगा़ इसके तहत पांचवी अनुसूची के क्षेत्रों में असंवैधानिक रूप से गठित म्यूनिसिपल को भंग करना होगा़ डोमिसाइल का आधार खतियान हो़ लैंड बैंक की जमीन रैयतों को वापस दी जाये़
सरकार के 16 नवंबर 2001 के संकल्प के अनुसार सरकारी नौकरियों में एसटी को 32, एससी को 14, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिले़ एसएआर कोर्ट में लंबित मामलों में आदिवासियों की जमीन वापस दिलायी जाये़ राज्य की सभी संवैधानिक संस्थानों में आदिवासी व मूलवासियों की ही नियुक्ति हो़ टीएसी के नियम बनाये जायें और इसका दफ्तर खोला जाये़ न्यायालय में लंबित मामलों का त्वरित निष्पादन हो़- विक्टर माल्टो, आदिवासी
बुद्धिजीवी मंच के राष्ट्रीय संयोजक
सरना कोड की अनुशंसा करें, जनजातीय निदेशालय व आयोग बनाने की जरूरत
अलग झारखंड राज्य के गठन का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ है, जबकि इसकी जगह आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन के साथ-साथ खनिज संपदा की लूट हुई है़ राज्य के आदिवासी और मूलवासी आज भी अच्छी शिक्षा और रोजगार के लिए पलायन कर रहे है़ं हेमंत सरकार से लोगों को काफी उम्मीदें है़ं सरकार विशेष सत्र बुलाकर सदन से सरना धर्म कोड पारित कर केंद्र को भेजे़ आदिवासियों के धार्मिक स्थल, सिरासिते नाले को राष्ट्रीय धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित करे़ जनजातीय निदेशालय और आयोग बनाये जाये़ं
धार्मिक भूमि और स्थलों की सुरक्षा के साथ सौंदर्यीकरण की जाये़ भूमि अधिग्रहण कानून रद्द हो़ साथ ही राज्य के विस्थापितों का पुनर्वास हो. जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई प्राइमरी से प्लस टू स्तर `तक करायी जाये़ आदिवासी छात्रावासों का निर्माण और मरम्मत करायी जाये़
– सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
एक नया अध्याय शुरू होगा
झामुमो वो पार्टी है, जिसने झारखंड अलग राज्य के लिए आंदोलन किया है. इसके बावजूद राज्य के कई मुद्दे ऐसे हैं, जिसका समाधान 19 वर्षों में भी नहीं हो सका है. अलग राज्य के जो बुनियादी मुद्दे हैं उसे चुनौतियों के रूप में लेना चाहिए. विकास की बात करनी पड़ेगी.
हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य विस्थापित प्रभावित आयोग बनायेंगे. विस्थापितों के लिए औद्योगिक नीति बनायेंगे. विकास के लिए मॉडल पेश करने होंगे. ट्राइबल राइट राज्य का एक बड़ा मुद्दा है.भारत पिछड़ा देश रहा है और पिछड़ेपन में आदिवासियों की समस्याएं दिखाई देती हैं. इन मुद्दों पर कैसे फैसला लेते हैं, ये बड़ी चुनौती हागी. मुझे उम्मीद है कि एक नया अध्याय शुरू होगा. समाज के हर वर्ग का चाहे वह बुजुर्ग हों, महिला हो या बच्चे, सभी का विकास होगा.
वास्वी किड़ो, सामाजिक कार्यकर्ता
आदिवासी-मूलवासी के हितों की रक्षा के लिए स्पष्ट नीति अख्तियार करे सरकार
रघुवर दास की भाजपा सरकार ने आदिवासियों व मूलवासियों के प्रति नकारात्मक रवैया रखा था़ सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन विधेयक, भूमि अधिग्रहण विधेयक, स्थानीयता व नियोजन नीति, रोजगार की कमी अादि इसके उदाहरण है़ं
नयी सरकार से अपेक्षा है कि इन मसलों पर गंभीरतापूवर्क ध्यान दे़ आदिवासियों और मूलवासियों के हितों की रक्षा के लिए स्पष्ट नीति अख्तियार करे यदि नयी सरकार इन मुद्दों पर बिना समय गंवाये काम करती है तो अच्छी सरकार साबित हो सकती है़ राजनीति, सरकार, प्रशासन और आम जन जीवन पर भ्रष्टाचार हावी है़ इसे दूर करना एजेंडा में होना चाहिए़ राज्य की युवा पीढ़ी नौकरियों, रोजगार की कमी से त्रस्त है़ इसके त्वरित समाधान की जरूरत है़
– डॉ करमा उरांव, शिक्षाविद, पूर्व डीन, सामाजिक विज्ञान, रांची विवि
सरकारी अस्पताल और बेहतर बनाये जायें, ताकि आम आदमी को लाभ मिले
हेमंत सोरेन की सरकार नयी नहीं है. अनुभव वाली सरकार है, जिसके बारे में बताने की जरूरत नहीं है. चिकित्सा को बेहतर करने में पहले भी इस सरकार का सहयोग रहा है. आइएमए का प्रतिनिधिमंडल पिछली सरकार में अपनी हर समस्या लेकर गया और उसका समाधान भी हुआ.
हमारी नयी सरकार से यही उम्मीद है कि डॉक्टरों को बेहतर माहौल मिले. सरकारी अस्पताल और बेहतर बनाये जायें, ताकि आम आदमी को लाभ मिले. मेडिकल कॉलेज की संख्या गिनाने के बजाय वहां फैकल्टी बढ़ायी जाये, जिससे गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा की पढ़ाई संभव हो. जब राज्य के युवा डॉक्टर बनकर निकलेंगे , तो डॉक्टरों की कमी दूर होगी. ब्लॉक स्तर पर डॉक्टर उपलब्ध होंगे तो मरीजों को बेहतर सेवा उनके क्षेत्र में ही उपलब्ध हो जायेगी.
सरकारी अस्पताल में मरीजों को सिर्फ परामर्श ही नहीं मिले बल्कि उनको दवा भी उपलब्ध हो. दवा खरीदने में गरीबों को परेशानी नहीं रहे ऐसी व्यवस्था करने की जरूरत है. राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स है, इसलिए यहां की चिकित्सीय सुविधा और बेहतर करने की जरूरत है. ग्रामीण स्तर पर मरीजों को बेहतर इलाज मिलने से रिम्स का लोड कम होगा.
डॉ अजय सिंह, वरिष्ठ चिकित्सक

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