तिरुवनंतपुरम. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एआर दवे द्वारा स्कूलों में गीता पढ़ाये जाने की बात का समर्थन करते हुए आरएसएस के एक प्रमुख विचारक ने बुधवार को कहा कि गीता सिर्फ धार्मिक ग्रंथ नहीं है, यह एक उत्कृष्ट आध्यात्मिक और दार्शनिक कृति भी है. साथ ही उन्होंने गीता को ‘राष्ट्रीय पुस्तक’ घोषित करने की भी अपील की. प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने न्यायाधीश दवे के विचारों पर आपत्ति जतायी थी. इस मुद्दे पर आरएसएस समर्थक सांस्कृतिक मंच भारतीय विचार केंद्रम के निदेशक पी परमेश्वरम ने कहा कि गीता ने कई शताब्दियों से भारत पर गहरा प्रभाव डाला है. कहा, जिन्होंने एक बार भी भगवद् गीता पढ़ी होगी, वे समझेंगे कि यह एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है. किसी भी अन्य किताब का इतना व्यापक प्रसार नहीं है. गीता की तरह कोई भी अन्य किताब इतनी बड़ी संख्या में व्याख्याओं के साथ प्रकाशित नहीं हुई है. परमेश्वरम ने कहा, ‘इसका प्रभाव समय और स्थान से परे है. यह किसी भी प्रखर मस्तिष्क के लिए ज्ञान का खजाना है और इसका प्रभाव शाश्वत है. महात्मा गांधी जैसी शख्सियत ने गीता को अपनी मां बताया था. उन्होंने कहा था कि उन्हें जब भी उलझन या दुख महसूस होता है, वे गीता की शरण लेते हैं. गांधी ने हमारी स्वतंत्रता के संघर्ष को निर्णयात्मक ढंग से प्रभावित किया था.’
BREAKING NEWS
गीता पढ़ाना संविधान के खिलाफ नहीं : संघ विचारक
तिरुवनंतपुरम. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एआर दवे द्वारा स्कूलों में गीता पढ़ाये जाने की बात का समर्थन करते हुए आरएसएस के एक प्रमुख विचारक ने बुधवार को कहा कि गीता सिर्फ धार्मिक ग्रंथ नहीं है, यह एक उत्कृष्ट आध्यात्मिक और दार्शनिक कृति भी है. साथ ही उन्होंने गीता को ‘राष्ट्रीय पुस्तक’ घोषित करने की भी […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement