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झारखंड विधानसभा चुनाव : पर्दे के पीछे की कहानी, हर पार्टी के लिए काम कर रही थी धुरंधरों की टीम

झारखंड विधानसभा चुनाव की सरगर्मी खत्म हो गयी है. अब सिर्फ परिणाम का इंतजार है. पिछले दो माह से हर दल की सभाएं और प्रचार में बड़े चेहरे दिखते रहे, लेकिन इन सभी दलों के साथ एक टीम ऐसी थी, जो पर्दे के पीछे रह कर पूरी व्यवस्था संभाल रही थी. इनकी कुशल प्रबंधन क्षमता […]

झारखंड विधानसभा चुनाव की सरगर्मी खत्म हो गयी है. अब सिर्फ परिणाम का इंतजार है. पिछले दो माह से हर दल की सभाएं और प्रचार में बड़े चेहरे दिखते रहे, लेकिन इन सभी दलों के साथ एक टीम ऐसी थी, जो पर्दे के पीछे रह कर पूरी व्यवस्था संभाल रही थी.
इनकी कुशल प्रबंधन क्षमता का नतीजा रहा कि दल के प्रथम पंक्ति के नेता तय रणनीति के तहत अपना काम बिना व्यवधान के संपन्न कर सके. प्रभात खबर ने परदे के पीछे रह कर काम करनेवाले ऐसी टीम व उनके लोगों की पड़ताल की, जिनकी प्रबंध कौशल ने दलों की योजना को अमली जामा पहनाया.
धर्मपाल ने संभाल रखी थी चुनावी प्रबंधन की कमान
भाजपा के चुनावी प्रबंधन की कमान प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल ने संभाली. व्यवस्था संचालन के लिए अलग-अलग टीमें बनायी गयी थीं.
करीब डेढ़ महीने तक 80 से ज्यादा पार्टी कार्यकर्ता व्यवस्था बनाने में जुटे थे. सभी टीमों का समन्वय खुद धर्मपाल कर रहे थे. सोशल मीडिया की जिम्मेदारी भानु जालान, राहुल अवस्थी व विजेंद्र शर्मा पर थी. पार्टी द्वारा हर दिन 15-20 ट्वीट किये जाते थे. चुनाव के दौरान ‘मोदी संग झारखंड’, ‘झारखंड पुकारा, भाजपा दोबारा’ का ट्वीट सोशल मीडिया में नंबर एक पर ट्रेंड करता रहा. पार्टी के प्रत्येक ट्वीट पर 30-50 हजार लोग लाइक दे रहे थे.
भगवा पर हेमंत सोरेन द्वारा दिये गये बयान पर भाजपा की ओर से किये गये कटाक्ष को फेसबुक पेज पर पांच लाख से ज्यादा लाइक मिले.
हर दिन तैयार होता था 300 से 400 लोगों का खाना : हेलिकॉप्टर की जिम्मेदारी छवि विरमानी, अजय मारु व योगेश मल्होत्रा संभाल रहे थे. पार्टी ने तीन हेलिकॉप्टर की व्यवस्था की थी.
वाहन व्यवस्था अरविंद सिंह देख रहे थे. डेढ़ माह तक पार्टी के ओर से औसतन 10-12 वाहन किराये पर लिये गये थे. आवास व्यवस्था सुबोध सिंह गुड्डू, कुमार अमित, गुरविंदर सिंह सेट्ठी देख रहे थे. नेताओं व कार्यकर्ताओं को ठहरने के लिए राजधानी में सात होटलों में कमरे बुक किये जाते थे. कार्यक्रम विभाग रविनाथ किशोर, विनय जायसवाल संभाल रहे थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत दो दर्जन से अधिक नेताओं की चुनावी सभाएं हुईं. प्रदेश भाजपा कार्यालय में भोजन की व्यवस्था की गयी थी. यहां हर दिन 300-400 लोगों के भोजन की व्यवस्था की गयी थी. इसके अलावा पार्टी की ओर से अलग से मीडिया सेंटर बनाया गया था. पांचों प्रमंडल में चुनाव के दौरान अलग से मीडिया सेंटर में नेताओं की प्रेसवार्ता हुई. मीडिया सेंटर की जिम्मेदारी शिव पूजन पाठक, प्रतुल शाहदेव, संजय जायसवाल संभाल रहे थे. नुक्कड़ नाटक की जिम्मेदारी नीरज सिंह, एलइडी वैन की जिम्मेदारी पंकज साहा और चुनाव आयोग से जुड़े मामलों की जिम्मेदारी सुधीर श्रीवास्तव पर थी.
सोशल मीडिया में काम कर रहे थे 22 कार्यकर्ता
कांग्रेस पार्टी ने 31 विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी उतारे थे. पार्टी की चुनावी रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने के लिए पार्टी के कुछ कार्यकर्ता पर्दे के पीछे से काम कर रहे थे. पार्टी ने कई पूर्व और वर्तमान सांसदों को विधानसभा वार प्रभारी बनाया था. कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम में कुल 22 लोग काम कर रहे थे. इनमें गजेंद्र सिंह, प्रणय दुबे, रोहित पांडेय, नरेंद्र, फिरोज रिजवी, परेवज आलम आदि शामिल थे. सोशल मीडिया टीम की तैयारी चुनाव के पहले से ही चल रही थी. 2014 में भाजपा द्वारा की गयी घोषणाओं की सूची तैयार की गयी थी.
उन्हें कंपाइल कर उसकी कमियां ढूंढी गयी. वर्तमान सरकार के जन विरोधी कार्यों का ऑडियो व वीडियो तैयार किया गया था. इसमें आंगनबाड़ी सेविकाओं पर पुलिस का हमला, पारा टीचर, सीएम का भाषण आदि का वीडियो तैयार किया गया था. कई ग्राफिक और कार्टून भी तैयार किये गये. इसका इस्तेमाल समय-समय पर किया गया. शुरू-शुरू में सोशल मीडिया पर कांग्रेस के फॉलोअर काफी कम थे.
चुनाव समाप्त होते-होते यह टॉप की श्रेणी में आ गयी थी. पूरे चुनाव के दौरान करीब 1500 फेसबुक पोस्ट और एक हजार से अधिक ट्विटर डाले गये.
चितरंजन की टीम संभाल रही थी कंट्रोल रूम
कांग्रेस ने चुनाव के लिए कंट्रोल रूम बनाया था. इस टीम में ऋषिकेश सिंह, अमृत कुमार सिंह, वेद प्रकाश तिवारी, नील नाथन, जीतेंद्र त्रिवेदी, पूर्णिमा सिंह, किमी प्रसाद, वीर सिंह महतो, शशि कुमार व अनीता कुमारी आदि शामिल थे. टीम वीअाइपी मूवमेंट पर नजर रखती थी.
विधानसभा क्षेत्रों से प्रत्याशियों का फीडबैक लिया जाता था. किनका प्रचार चाहते हैं, यह तय होता था. इसकी सूचना दिल्ली स्थित कार्यालय को भेजी जाती थी. ऋषिकेश बताते हैं कि प्रभारी आरपीएन सिंह ने टीम को पूरी छूट दे रखी थी. चुनाव के दौरान एक हेलिकॉप्टर नियमित रूप से उड़ रहा था. एक हेलिकॉप्टर जरूरत पड़ने पर मंगाया जाता था. अमूल्य नीरज खलखो पर वीआइपी मूवमेंट की जिम्मेदारी थी. पूरे चुनाव के दौरान 100 से अधिक वीआइपी मूवमेंट हुए.
चुनाव प्रबंधन संभालने में लगे थे दर्जन भर लोग
झामुमो ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ा. जहां बड़ी-बड़ी पार्टियों ने सैकड़ों लोगों को प्रबंधन में लगा रखा था, वहीं झामुमो में केवल 10-12 लोग ही चुनावी प्रबंधन संभाल रहे थे. चुनावी सभा, सोशल मीडिया, मीडिया, चुनाव आयोग, गठबंधन और प्रत्याशी से जुड़े सभी काम इन्हीं के जिम्मे थे. झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के पूरे कार्यक्रम की संरचना उनके आप्त सचिव सुनील श्रीवास्तव व अभिषेक प्रसाद पिंटू संभाल रहे थे.
प्रतिदिन की सभा और कार्यक्रम तैयार करना, समय पर हेमंत को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का आदि का काम यही करते थे. झामुमो ने दो हेलिकॉप्टर लिये थे. कौन सा हेलिकॉप्टर कब कहां जायेगा, इसके अलावा राजद और कांग्रेस के नेताओं के साथ समन्वय यही संभालते थे. सुप्रियो भट्टाचार्य मुख्यालय में रह कर पार्टी की नीतियों पर काम कर रहे थे. प्रेस बयान, टीवी चैनल पर बहस या चुनाव आयोग में आपत्ति दर्ज कराने की जिम्मेवारी श्री भट्टाचार्य, विनोद पांडेय और मनोज पांडेय पर थी.
मुख्यालय की जवाबदेही सौरभ कुमार के पास थी. झंडा-बैनर पोस्टर पहुंचाने का काम भी पार्टी मुख्यालय से ही हो रहा था. विनोद पांडये, मनोज पांडेय टीवी चैनलों में झामुमो का पक्ष रखते थे.
इसके अलावा पार्टी फंड से प्रत्याशियों को सहायता व खर्च का हिसाब-किताब झामुमो के केंद्रीय कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल संभाल रहे थे. सोशल मीडिया फेसबुक, ट्वीटर या अन्य कोई माध्यम से लोगों तक झामुमो की बात पहुंचाने का काम अरिदंम और शशि की टीम के जिम्मे था. ट्वीटर पर हेमंत सोरेन का ट्वीट हमेशा ट्रेंड करता रहता था. इनके अलावा पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी चुनावी रणनीति बनाने में शामिल थे.
देवशरण भगत लीड कर रहे थे टीम
झारखंड विधानसभा चुनाव में आजसू पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता देवशरण भगत चुनावी प्रबंधन संभाल रहे थे. सोशल मीडिया में हेमंत जैन, रोहित हेतमसरिया समेत तीन दर्जन कार्यकर्ता हर दिन पार्टी के लिए काम कर रहे थे.
केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो की ओर से प्रतिदिन एक ट्वीट किया जाता है. वहीं, पार्टी की ओर से कम से कम 50 ट्वीट किये जा रहे थे. ट्वीटर को मनीष सिन्हा, रोबिन, पतरस लकड़ा हैंडल कर रहे थे. हेलिकॉप्टर की व्यवस्था जब्बार अंसारी, गौतम सिंह देख रहे थे. 16 से 18 दिसंबर तक पार्टी की ओर से एक हेलिकॉप्टर लिया गया था. इससे पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष ने लगभग 150 चुनावी सभाएं कीं. इनके अलावा हसन अंसारी, राजेंद्र मेहता, अरविंद सिंह, बनमाली मंडल, नईम अंसारी, आशुतोष गोस्वामी, सुनील यादव भी पार्टी की व्यवस्था में जुटे हुए थे.
सोशल मीडिया दिल्ली की टीम के जिम्मे
विधानसभा चुनाव को लेकर झाविमो के लिए दिल्ली की एक टीम पिछले छह माह से पार्टी के लिए सोशल मीडिया का काम देख रही थी. इसका नेतृत्व अमित कर रहे थे. झारखंड की मीडिया कमेटी में शामिल तौहिद आलम, सुनील सिंह, जगदीश लोहरा, अजय भारती इन्हें इनपुट दे रहे थे.
पार्टी की ओर से चुनाव प्रधान की कमान केंद्रीय उपाध्यक्ष विनोद शर्मा संभाल रहे थे. पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक माह के अंदर हेलिकॉप्टर से 105 सभाएं की. इस व्यवस्था को भूपेंद्र सिंह, जितेंद्र रूंकू, सुरेश शर्मा, इंदू भूषण गुप्ता, कुणाल शाहदेव, निरसा सिन्हा देख रहे थे. चुनावी सभा और वाहन व्यवस्था में संतोष गुप्ता, जीवेश सिंह सोलंकी, बजरंग गुप्ता, अविनाश कुमार लगे थे. वहीं लीगल सेल अधिवक्ता आरएन सहाय संभाल रहे थे.

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